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आनन्दमयता : एक दायित्व"

आनन्दमयता : एक दायित्व"

हम सभी जीवन में खुश रहना चाहते हैं। यह हमारी सबसे स्वाभाविक इच्छा है। लेकिन खुशी कोई ऐसी चीज नहीं है जो अपने आप हो जाती है। इसके लिए हमें प्रयास करना होता है।
उपरोक्त उद्धरण हमें खुशी के लिए तीन महत्वपूर्ण बातें बताता है ....
जो बदला जा सके उसे बदलिए: यदि हमारे जीवन में कुछ ऐसा है जो हमें नाखुश कर रहा है, तो हमें उसे बदलने की कोशिश करनी चाहिए। यह हमारे रिश्ते हो सकते हैं, हमारी नौकरी हो सकती है, या हमारी कोई बुरी आदत हो सकती है। यदि हम कुछ बदलने में सक्षम हैं, तो हमें इसे करने से नहीं हिचकिचाना चाहिए।
जो बदला ना जा सके उसे स्वीकारिए: कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें हम बदल नहीं सकते। यह हमारी पिछली गलतियाँ हो सकती हैं, हमारी शारीरिक सीमाएँ हो सकती हैं, या हमारे जीवन में होने वाली कुछ घटनाएँ हो सकती हैं। यदि हम कुछ बदलने में सक्षम नहीं हैं, तो हमें इसे स्वीकार करना सीखना चाहिए।
जो स्वीकारा न जा सके उससे दूर हो जाइये: कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें न तो हम बदल सकते हैं और न ही स्वीकार कर सकते हैं। यह हमारे जीवन में कुछ नकारात्मक लोग हो सकते हैं, कुछ हानिकारक परिस्थितियाँ हो सकती हैं, या कुछ ऐसे सपने हो सकते हैं जो कभी सच नहीं हो सकते। यदि हम कुछ स्वीकार करने में सक्षम नहीं हैं, तो हमें उससे दूर हो जाना चाहिए।
लेकिन इन सब बातों का सार यह है कि हमें खुद को खुश रखना चाहिए। खुशी हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। हमें अपने जीवन में खुशी लाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि खुशी एक यात्रा है, गंतव्य नहीं। हमें हमेशा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए, भले ही हम हमेशा सफल न हों।

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
 पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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