बजट चुनावी फायदे को ध्यान रख कर बनाया गया है :-मानसपुत्र सीए. संजय कुमार झा
एनजीओ हेल्पलाइन [ सूचना शक्ति ] के संस्थापक एवं निदेशक मानसपुत्र संजय कुमार झा ने बजट की गहराई से समीक्षा करते हुए इसे चुनावी फायदे को ध्यान में रखकर बनाया गया बजट बताया, जिसमें दीर्घकालिक आर्थिक सुधारों की गंभीर कमी है।
उन्होंने ने कहा कि टैक्स राहत , वास्तविक राहत या भ्रम है , स्पष्ट नहीं है ! इस बजट में ₹12 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं लगाने की घोषणा की गई, जो सतही रूप से मध्यम वर्ग के लिए राहत प्रतीत होती है। लेकिन कर छूट और कटौतियों को हटाने के कारण वास्तविक कर लाभ सीमित हो सकता है। यह एक रणनीतिक कदम है, जो चुनावी वर्ष में जनता को लुभाने के लिए किया गया है।
मानसपुत्र संजय कुमार झा ने कहा कि 8% विकास दर के बिना विकसित भारत का सपना अधूरा है ! सरकार ने 6.3% से 6.8% की विकास दर का लक्ष्य रखा है, जबकि आत्मनिर्भर भारत और विकसित राष्ट्र बनने के लिए 8% या उससे अधिक की विकास दर आवश्यक है। बजट में औद्योगिक, बुनियादी ढांचा और तकनीकी सुधारों पर जोर नहीं दिया गया, जिससे यह लक्ष्य अधूरा रह सकता है।
श्री झा ने कहा कि MSME सेक्टर को वित्तीय सहायता तो दी, लेकिन असली समस्याओं का हल नहीं दिया गया ! MSME सेक्टर को ऋण सुविधाओं के रूप में समर्थन दिया गया, लेकिन वैश्विक प्रतिस्पर्धा, तकनीकी अपग्रेडेशन और बाजार में टिके रहने की असली चुनौती का समाधान बजट में नहीं दिखता। केवल सस्ता कर्ज देना समाधान नहीं है, बल्कि उत्पादन लागत घटाने, नवाचार और डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देना जरूरी है।
श्री झा ने कहा कि चुनावी लाभ के लिए सामाजिक योजनाओं का दबदबा रखा गया ! बजट में कई सामाजिक योजनाओं के लिए भारी धनराशि आवंटित की गई है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ये योजनाएं आत्मनिर्भरता लाने वाली हैं या सिर्फ अस्थायी राहत प्रदान कर वोट बैंक को साधने के लिए बनाई गई हैं? रोजगार सृजन के ठोस उपायों की अपेक्षा सब्सिडी आधारित नीतियों को प्राथमिकता दी गई है।
विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया, लेकिन बड़े सुधारों की अनदेखी की गई ! बजट में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने की बात की गई है, लेकिन भूमि सुधार, श्रम सुधार और उत्पादन लागत को कम करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया। बिना इन सुधारों के, विदेशी निवेशकों के लिए भारत को आकर्षक बनाना कठिन होगा।
मानस पुत्र संजय कुमार झा ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास की योजनाओं का दिखावटी घोषणाएं किया गया है ! सरकार ने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने की बात की, लेकिन MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कोई ठोस नीति नहीं लाई गई। किसानों की आय दोगुनी करने का वादा सिर्फ नारेबाजी बनकर रह गया है, क्योंकि कोई ठोस रणनीति पेश नहीं की गई।
अंत में , मानसपुत्र संजय कुमार झा ने कहा कि "बजट 2025 ने कुछ उम्मीदें जगाईं, लेकिन यह दीर्घकालिक आर्थिक सुधारों की दिशा में ठोस कदम उठाने में असफल रहा। मध्यम वर्ग को राहत देने के नाम पर कर ढांचे में बदलाव किए गए, लेकिन वास्तविक प्रभाव सीमित रहेगा। उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, रोजगार सृजन और आर्थिक सुधारों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत थी, लेकिन बजट में इन महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजरअंदाज किया गया। चुनावी फायदे को ध्यान में रखते हुए बनाई गई योजनाएं देश की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। सरकार को चाहिए कि वह नवाचार, उत्पादन क्षमता, रोजगार वृद्धि और दीर्घकालिक आर्थिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित करे, ताकि भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ाया जा सके।"
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