अब तो,प्रणय निवेदन स्वीकार कर
अलौकिकता परम स्पंदन,उरस्थ पुनीत कामनाएं ।
आशा उमंग उल्लास अथाह,
चितवन मृदुल भावनाएं ।
प्रति आहट स्वर मधुरिम,
कल्पना रूप साकार धर ।
अब तो,प्रणय निवेदन स्वीकार कर ।।
हर पल अनंत अभिलाष,
मिलन हेतु सौम्य तत्पर ।
मुस्कान वसित भव्य छवि,
अपार अंध विश्वास परस्पर ।
चाहना तृषा असीम अनूप,
हृदय पटल तृप्ति धार भर ।
अब तो,प्रणय निवेदन स्वीकार कर ।।
परिवेश बयार आनंदिका,
नैसर्गिक दृश्य मनमोहक ।
संसर्ग विचार पीठिका,
सृजन सृष्टि सदैव रोहक ।
अंतर बिंदु कमनीय स्पर्श,
हाव भाव सुरभित बहार पर ।
अब तो,प्रणय निवेदन स्वीकार कर ।।
सप्त जन्म सहगम अनुबंध,
रग रग दैविक आभा व्याप्त ।
आह्लाद जीवन सुपर्याय भाषा,
सर्वत्र खुशियां विलुप्त संताप ।
राधा कृष्णमय अंतरंग तरंग,
दृश प्रीत प्रतीक्षा आभार असर ।
अब तो,प्रणय निवेदन स्वीकार कर ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com