परिवर्तन
बरगद, पीपल, पाकड़ वृक्षसब कट गए।
अब सरकारी स्तर से उनके जगह,
यूकिलिप्टस का पेड़ लगवाया जा रहा है।।
वो धरती को रस देते थे,
धरती को हरा भरा रखते थे,
ये धरती का रस चूस रहे हैं,
धरती को बंजर बना रहे हैं।
फिर भी ये अच्छे और आधुनिक हैं,
ऐसा ढिंढोरा पीटवाया जा रहा है।।
पहले के लोग ये विशाल वृक्ष ,
खेतों और मैदानों में देखते थे,
आज उनका बोनसाई रूप,
घर के भीतर गमलों में,
देखा जा रहा है।।
आज का बच्चा पुछता है,
बरगद, पीपल, पाकड़,
ये सब विशाल वृक्ष कैसे होते थे ,
क्योंकि कि उसने बोनसाई रूप देखा है,
और अब यही रूप उसे भा रहा है।।
वो विशाल वृक्ष,
बहुतों को छाया और आश्रय देते थे ,
अनेकों परिवार उनसे खुशहाल था।
आज का बोनसाई,
केवल आंखों को सुख देता है ,
उनसे केवल एक परिवार खुशहाल है।।
आज मनुष्य ही नहीं,
प्रकृति भी सरकारी उपेक्षा का,
तरह तरह से मारा है।
जिसे आधुनिकता एवं ,
कम्प्यूटर का युग कहा जा रहा है,
वह केवल मानवबल की उपेक्षा,
और परिवर्तन का खेल सारा है।।
जय प्रकाश कुवंर
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