मुस्लिम वोटों का मिथक
- मनोज कुमार मिश्र
हालिया सम्पन्न हुए चुनावों में मुस्लिम वोटों को पाने के लिये भाजपा से इतर सभी दलों में होड़ लगी थी। दरअसल हमारे सूचना तन्त्रों ने यथा दूरदर्शन पर आने वाले समाचार चैनल्स, समाचार पत्रों के संपादकों और तथाकथित अग्रसोचि प्रभावशाली वक्ताओं ने हमेशा एक ही पथ का अनुकरण किया - मुसलमान बहुत कट्टर है, एकमुश्त वोट करता है।
ऐसा करते करते उन्होंने मुसलमानों की एक नहीं कई पीढ़ियों को यह सीखा दिया कि तुम कट्टर बनो और एकमुश्त वोट करो। रही सही कसर मदरसों और मस्जिदों ने पूरी की। मुसलमान नेता तो खैर आज़ादी के बाद से ही यही तराना अपने जमात में सुनाते रहे हैं।
दिल्ली के चुनाव में भी यही हुआ। मुसलमान वोट लेने के लिए, उन्हें बीजेपी के खिलाफ मतदान करने के लिए गोलबंद करते राहुल, ममता बनर्जी से लेकर अखिलेश यादव तक यहां तक कि लालू प्रसाद तक ने यह प्रयास किया। पर नतीजे इन सबकी आशाओं के विपरीत आये। अखिल भारतीय इमाम कौंसिल के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने तो टीवी पर आकर एक अलग दृष्टिकोण परोसने का प्रयास किया जिसमें बीजेपी को अंगीकार करने की बात की गई। लेकिन चुनाव के परिणामों का विश्लेषण कुछ और ही कहानी कहती है। मुसलमानों ने एक बार फिर बीजेपी के खिलाफ ही वोट दिया पर इस बार वह बंटा भी। बीजेपी की 48 सीटों पर जीत और आप को 22 सीट मिलना भी इस धारणा को पुष्ट करता है।
दिल्ली की मुस्लिम बहुल 12 सीटों में से 8 पर आप ने जीत हासिल की और शेष 4 भाजपा को मिली। इससे लोगों ने राजनीति के पंडितों ने अनुमान लगाया कि इस बार मुसलमानों ने भाजपा को मतदान किया है। पर वे यह बात सफाई से गोल कर गए कि इन सीटों पर मुस्लिम मत आप, कांग्रेस तथा एआईएमआईएम में बंटा जो भाजपा के लिए फायदेमंद हुआ। यह भी गौरतलब है कि इन सीटों पर हिंदुओं ने भी संगठित होकर वोट दिया और बीजेपी को जीत दिलाई।
सबसे बड़ा परिवर्तन तो मिल्कीपुर विधानसभा के उपचुनाव में देखने को मिला जहाँ कुल यादव और मुस्लिम मतदाता 1 लाख से ऊपर हैं फिर अनुसूचित जाति के मतदाता भी अलग से बहुतायत में हैं, पर जीत भाजपा के चन्द्रभानु पासवान की हुई जिन्हें ब्राह्मण राजपूत और अन्य पिछड़ा वर्ग के अलावा अनुसूचित वर्ग का भी समर्थन मिला। सपा के अजीत प्रसाद जो फैज़ाबाद के सांसद अवधेश पासी के पुत्र हैं, पराजित हुए। सपा सुप्रीमो, जो अवधेश पासी को अयोध्या का राजा बताते घूमते थे, रामजी का अपमान करते थे, मुंह के बल गिरे। धीरे धीरे ही सही पर यह बात अब वृहत हिन्दू समाज को समझ आ रही है कि उनको भी अपना मतदान एक मुश्त ही करना होगा। ये भारतीय राजनीति में मुस्लिम वोट के मिथक के टूटने और हिन्दू एकजुटता के परचम लहराने की नई बयार है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com