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बातों में किसी के, यूँ आया ही नहीं करते,

बातों में किसी के, यूँ आया ही नहीं करते,

झाँसे में किसी के, यूँ आया ही नहीं करते।
मतलबी दुनिया में, फ़रेबी लोग बहुत सारे,
ख़्वाबों में किसी के, यूँ आया ही नहीं करते।


कौन अच्छा बुरा है कौन, पहले जान लो उसको,
हक़ीक़त की कसौटी, जरा सा तान लो उसको।
सूरत क्या सीरत, क्या मन में चल रहा किसके,
भँवरा रूप- धन का लोभी, पहचान लो उसको?


चेहरे पर मुखौटे हैं, सच समझ नहीं आता,
दिल में प्यार या धोखा, परख नहीं आता।
शिकारी घूमते रहते, फरेबी जाल संग लेकर,
मानव भेष में दानव, सच नज़र नहीं आता।


करें संस्कार का पालन, रहें मर्यादा में अपनी,
है अन्धी दौड़ फ़ैशन की, रहें मर्यादा में अपनी।
जीवन पथ है काँटों का, नहीं अनुभव हमें कोई,
बुजुर्गों की सलाह माने, रहें मर्यादा में अपनी।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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