सरस्वती वंदना
वीणापाणि जग कल्याणी मात शारदे वरदानी।
हंसवाहिनी पुस्तक धारिणी शरण तेरे मांँ दानी।
विद्या देवी बागेश्वरी मां अंबे शारदा महाश्वेता।
वाग्देवी वाचा वाणी धनेश्वरी हे माता पुनिता।
ललित कला कौशल देवी शब्द सौरभ भारती।
भाव पुष्प अर्पण तेरे वाणी पुत्र करें मां आरती।
शब्द सौम्य काव्य कलश यश कीर्ति की दाता।
मधुर मनोहर सुधारस हर्ष आनंद भर जाता।
सुर संगीत सभा सोहे पुस्तक वीणा धारिणी।
श्वेतवर्णी कमलासना अंधकार मां निवारिणी।
विमल ज्ञान बुद्धि विधाता सौंदर्य सुख दायनी।
स्वर लय ताल की देवी नमन हे मांँ सुरदायनी।
छंद गीत अलंकार सारे आभूषण तेरे है माता।
सिर स्वर्ण मुकुट धारे शब्द पुष्प तुमको भाता।
भव सिंधु रत्नाकर भर काव्य मोती बरसाओं।
पूजन थाल सजा मंदिर झोली मेरी भर जाओ।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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