भारत में प्रभु तूने जन्म दिया है
लेता रहूॅं सदा जन्म यहीं पर ,मिलता रहे सदा यही प्यार तेरा ।
भारत में प्रभु तूने जन्म दिया है ,
बहुत बहुत प्रभु है आभार तेरा ।।
मिलता रहे मुझे जन्म भारत में ,
भारत का मुझप ये एहसान रहे ।
जन्मभूमि कायम सदा रहे यही ,
पूरन होता मेरा ये अरमान रहे ।।
भारत को तूने संस्कार दिया है ,
भारत को ही गुप्त ज्ञान दिया है ।
भारत को दिया है विशेष शक्ति ,
राष्ट्र विशेष अनुसंधान दिया है ।।
तन विकार दूर करे चिकित्सक ,
मन का विकार मातपिता महर्षि ।
ईश माता पिता शिक्षक व गुरु ,
महर्षि बुजुर्ग सात होते सप्तर्षि ।।
महिमा तुम्हारी प्रभु यहाॅं बहुत ,
जन जन तुममें सदा रम जाते हैं ।
देव देवी योगी तपस्वी संन्यासी ,
धर्म संस्कार हेतु यहाॅं पे आते हैं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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