बातों बातों में हुआ..
कुछ उन्होंने कहाँ,कुछ हमने कहाँ।
बातों का सिलसिला,
यही से शुरू हो गया।
अब तो रोज बातें,
हम लोग करते है।
दिलकी लगी को,
दिलसे मिलते है।
और अपास में,
प्यार बहाते है।
अब हाल ये है,
की उन्हें देखे बिना ?
दोनों रह नही सकते,
इसलिए रोज मिलते है।
और डूब जाते है,
प्यार के सागर में।
जहां प्यार ही प्यार,
दिन रात बरसता है।
और मालूम ही नही,
कब दिन ढल गया।
दिलमें चाँद जैसे,
फूल खिलते है।
और मोहब्बत के दीप,
दिलों में जलते है।
और प्यार की रोशनी,
चाँद जैसी चमकती है।
जिससे जगमगा उठाते है
मुरझाए हुए चेहरे।
फिर वही राधा-कृष्ण,
जैसे दिखाई देते है।।
जय जिनेन्द्र
संजय जैन बीना मुम्बई
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