बांग्लादेशी घुसपैठिए और देश की राजधानी दिल्ली
डॉ राकेश कुमार आर्य
देश के राजनीतिक लोग जिस प्रकार वोट और तुष्टिकरण की राजनीति के माध्यम से अपनी सत्ता को स्थाई बनाने का घृणास्पद कार्य करते जा रहे हैं, वह देश के लिए चिंता का विषय है। नेताओं के इस प्रकार के आचरण के चलते देश में बांग्लादेशी घुसपैठिए दिल्ली में १४७ स्थानों को प्रभावित करने की स्थिति में आ गए हैं। आम आदमी पार्टी के नेता केजरीवाल ने जानबूझकर इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को दिल्ली में प्रवेश करने दिया है और इन्हें स्थाई रूप से केवल इसलिए बसाने का काम किया कि ये उन्हें सत्ता में बनाए रखने में सहयोग कर सकते हैं। हममें से कौन नहीं जानता कि ये बांग्लादेशी घुसपैठिए देश को अस्थिर करने वाली एक बीमारी हैं। ये बीमारी जनसांख्यिकीय संतुलन को तो बिगाड़ती ही है , साथ ही सामाजिक परिवेश को भी बिगाड़ती है। इन घुसपैठियों में से अधिकांश हत्यारे, लुटेरे, बलात्कारी, जेबकतरे और बदमाश होते हैं। इनका भारतीयता और भारत माता से कोई संबंध नहीं है । ये शत्रु भाव से देश की सीमा में प्रवेश करते हैं और शत्रुभाव से ही यहां रहते हैं। जितने भी गैर मुस्लिम हैं , वे सब उनके लिए शत्रु के समान होते हैं। इसीलिए उनके साथ किसी भी प्रकार का अपराध करना ये अपने लिए जायज मानते हैं। इनकी आपराधिक प्रकृति के कारण राजधानी का अपराधिक रिकॉर्ड भी खराब होता है।
अब इन बांग्लादेशी घुसपैठियों की जिस प्रकार राजधानी दिल्ली में जनसंख्या बढ़ी है, उसको लेकर जेएनयू के प्रोफेसरों ने भी कई प्रकार के प्रश्न उठाए हैं। 'सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण' शीर्षक वाली रिपोर्ट में इनकी समस्या को लेकर स्पष्ट किया गया है कि अवैध अप्रवासियों द्वारा अनधिकृत बस्तियों ने झुग्गियों और अनियोजित कालोनियों के विकास में योगदान दिया है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि दिल्ली अपनी समस्याओं को लेकर पहले से ही बोझ में दबी हुई है। आधारभूत ढांचे, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा प्रणाली की समस्या से जूझती हुई दिल्ली बांग्लादेशी घुसपैठियों से उत्पन्न हुई स्थिति को संभालने में अक्षम होती जा रही है। यह अध्ययन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान ने एक संयुक्त टीम के माध्यम से किया है। इस अध्ययन से स्पष्ट होता है कि देश के जितने भर भी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल हैं, वे सभी देश के प्रति समर्पित होकर जीने वाले हिंदू समाज की मानसिकता को या तो समझने में अक्षम रहे हैं या फिर जानबूझकर उसे समझने का प्रयास नहीं करते हैं। यदि भारत से अलग किसी अन्य देश की बात करें तो वह अपने देश के देशप्रेमी जन समुदाय की भावनाओं का सर्वाधिक सम्मान करते हुए दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं, वे देशप्रेमी लोगों को ही राष्ट्र की मुख्यधारा स्वीकार करते हैं। जबकि भारत में इसके विपरीत होता रहा है। यहां देशप्रेमी हिंदू समुदाय के ऊपर उन लोगों की भावनाओं को सम्मान दिया जाता है जो न केवल इस देश प्रेमी जन समुदाय को अपना शत्रु मानते हैं, बल्कि इसके हक को छीनकर खाने को भी अपना मौलिक अधिकार मानते हैं। हद उस समय हो जाती है जब राजनीति भी उनके इस प्रकार के 'असभ्य और अनीतिपरक आचरण' को अपना समर्थन देती हुई दिखाई देती है।
हमारा मानना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों ने जिस प्रकार दिल्ली में प्रवेश करने में सफलता प्राप्त की है और यहां की केजरीवाल सरकार ने जिस प्रकार उनका संरक्षण किया है, उससे राजनीतिक दलों की और विशेष रूप से आम आदमी पार्टी की यही मानसिकता स्पष्ट होती है कि वह देशप्रेमी हिंदू जन समुदाय के ऊपर इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को प्राथमिकता देती है, अन्यथा क्या कारण था कि राजनीति में शुचितात, ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा और देश प्रेम की नई बयार बहाने का आवाहन करने वाली आम आदमी पार्टी और उसके नेता केजरीवाल इस बीमारी को चुप-चुप पालते रहे और इसका विरोध करने के स्थान पर इससे राजनीतिक लाभ प्राप्त करते रहे ?
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अवैध अप्रवासियों की अनधिकृत बस्तियों ने झुग्गियों और अनियोजित कालोनियों के विकास में योगदान दिया है। दिल्ली में स्थान - स्थान पर हमें इन अनधिकृत बस्तियों के दर्शन हो जाते हैं। हमें लगता है कि इन सब झुग्गी झोपड़ियों में हमारे देश के लोग ही रहते होंगे। परंतु ऐसा नहीं है । इनमें अधिकांश में बांग्लादेशी घुसपैठियों के रूप में देश के छुपे हुए शत्रु रहते हैं। जिन पर समय रहते कठोर कानूनी कार्यवाही किया जाना समय की आवश्यकता है ।
जहां तक भाजपा की बात है तो वह भी यह कहकर अपना बचाव नहीं कर सकती कि दिल्ली में सरकार आम आदमी पार्टी की है और उसने इन घुसपैठियों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए यहां बसने दिया है। किसने बसने दिया है और किसने नहीं बसने दिया है, प्रश्न यह नहीं है । प्रश्न यह है कि जब केंद्र में भाजपा की सरकार है तो भाजपा की सरकार के रहते हुए देश के शत्रु देश के दिल अर्थात राजधानी दिल्ली तक आने में सफल कैसे हो गए ? जब हृदय से ही प्रदूषण युक्त रक्त निकलेगा तो उसका सारे शरीर पर प्रभाव क्या पड़ेगा ? राजनीतिक लच्छेदार भाषण देने वाले भाजपा के नेताओं को इस प्रश्न पर भी विचार करना चाहिए। अपने गले के सांप को दूसरे के गले में डालकर भाग जाने से काम नहीं चलेगा। काम चलेगा जमकर प्रतिरोध करने से । उस प्रतिरोध के लिए भाजपा ने क्या रणनीति अपनाई या बनाई है ? इसका खुलासा होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के चल रहे विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत जितनी भर भी चुनावी रैलियां की हैं, उनमें उन्होंने कहा है कि जहां पर झुग्गियां हैं, वहां पर मकान खड़ा होगा तो क्या इसका अंतर्निहित अर्थ यह निकाला जाए कि जहां पर आज झुग्गी हैं, वहां रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मकान दिया जाएगा अर्थात अपने लाभ के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों का स्थाईकरण कर दिया जाएगा ? या फिर इसका अर्थ यह है कि जहां आज झुग्गी है ,वहां की पड़ताल की जाएगी और पड़ताल के बाद यदि यह निश्चित होता है कि यहां का रहने वाला व्यक्ति मूल रूप से भारतीय है तो उसे मकान दे दिया जाएगा । इन दोनों बातों में अंतर है। अब बीजेपी कौन सी रणनीति पर काम कर रही है ? उसे यह स्पष्ट करना ही होगा अन्यथा उसमें और आम आदमी पार्टी में कोई अंतर नहीं रहेगा। आशा है कि भाजपा दिल्ली की जनता को निराश नहीं करेगी।
हमें ध्यान रखना चाहिए कि देश के लोग केवल राजनीतिक सत्ता परिवर्तन के लिए ही वोट नहीं करते हैं बल्कि वे राजनीतिक दलों या सत्तासीन दलों की नीतियों के विरुद्ध भी वोट करते हैं। इसलिए देश के मतदाता किसी भी सत्तारूढ़ पार्टी का स्थान लेने वाली पार्टी की नीतियों को भी जानना चाहते हैं। आम आदमी पार्टी के अतिरिक्त भाजपा सहित किसी भी राजनीतिक दल ने घुसपैठियों को लेकर अपनी नीति रणनीति का खुलासा अपने राजनीतिक घोषणा पत्र में अपेक्षित ढंग से नहीं किया है। जिससे लगता है कि दाल में कहीं कुछ काला है और मंशा काम करने की न होकर सत्ता प्राप्त करने की है। भाजपा से अपेक्षा है कि वह सत्ता में आकर जनता को निराश न करे।
(लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं)
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