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शनि राशि परिवर्तन सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा

शनि राशि परिवर्तन सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा

हर हर महादेव!!
लेखक:रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन।ज्योतिष मार्तंड एवं जन्मकुंडली।

शनि एक ऐसा नाम जिसे सुनकर ही डर के मारे पसीना छूट जाता है। उस पर से शनि की साढ़ेसाती......यह नाम सुनते हैं ऐसा लगता है जैसे जीवन की सारी खुशियां समाप्त हो गई।
वास्तविकता भी यही है।
शनि प्रत्येक ढाई वर्ष के बाद राशि परिवर्तन करते हैं। शनि का राशि परिवर्तन समस्त संसार को प्रभावित करता है। यही कारण है कि शनि के गोचर का फल जानने के लिए सभी उत्सुक रहते हैं।
सबसे पहले यह जानना जरूरी है की शनि कौन है?
शनि काल पुरुष का विषाद है। अर्थात ईश्वर का दुख है शनि। इसीलिए शनि को साक्षात मृत्यु कहा गया है। यह यमराज का बड़ा भाई है। ग्रहों में अत्यधिक शक्तिशाली ग्रह शनि है।
शनि को अत्यधिक पापी ग्रह कहा गया है। इसे पाप ग्रह, दुष्ट ग्रह, क्रूर ग्रह का नाम दिया गया है। शनि की दृष्टि में जहर होता है। यह जिस ग्रह को, जिस घर को देख लेता है उसका नाश कर देता है।
शनि जहां बैठता है उस घर की भी हानि करता है। जहां देखता है उसे भी बर्बाद कर देता है। एक मात्र देवगुरु बृहस्पति की राशि पर ही बैठा हुआ शनि स्थान वृद्धि करता है। देवगुरु बृहस्पति की राशि में बैठकर शनि उस घर को शुभ फल देता है। अथवा यूं कहें कि उस घर को शुभ फल देने के लिए लाचार और विवश हो जाता है‌ इसके अलावा किसी भी ग्रह की राशि में बैठा हो और सदैव नुकसान पहुंचाता है। यहां तक की शनि अपने स्वयं के घर में बैठकर भी बेहद मानसिक तनाव देता है। इसका जीता जागता उदाहरण है पिछले 5 वर्षों का लेखा-जोखा। जनवरी 2020 से आने वाले मार्च 2025 तक शनि अपनी दोनों राशि मकर और कुंभ में गोचर कर रहे थे। इस दरमियान इस ग्रह ने समस्त संसार को दुख और पीड़ा से भर दिया।
29 March 2025 की रात 11:01 पर शनि देव कुंभ राशि को छोड़कर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण में चांदी का पाया लेकर देवगुरु बृहस्पति की साधारण जल तत्व की राशि, मीन राशि में प्रवेश करेंगे। जहां पर 3 जुलाई 2027 तक रहेंगे। मीन राशि को काल पुरुष की अंतिम राशि मानी जाती है। यह राशि मुक्ति अर्थात मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। अतः शनि के मीन राशि में प्रवेश करने से समस्त संसार को शनि की पीड़ा से शनि के कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी। लगभग सभी 12 राशियों को आने वाले ढाई वर्षो तक उन्नति और तरक्की करने का अवसर मिलेगा। जीवन में शुभता आएगी। समस्त विश्व में खुशहाली आएगी। 90% लोगों को शनि की पीड़ा से राहत मिलेगी। किंतु 10% लोग ऐसे होंगे जिन्हें जीवन में शनि थोड़ा कष्ट और पीड़ा देंगे। इन 12 राशियों में मुख्य रूप से तीन राशियों को शनि कष्ट देंगे। जिनमें से अत्यधिक कष्ट मेष राशि वालों को, फिर मीन राशि वालों को, उसके बाद वृश्चिक राशि वालों को और अंत में थोड़ा बहुत कष्ट सिंह राशि वालों को देंगे। इसके अलावा सभी राशियों के लिए शनि का यह गोचर शुभ फलदायक होगा।
मेष राशि वालों की साढ़ेसाती आरंभ हो जाएगी। मीन राशि वालों की मध्य साढ़ेसाती होगी। कुंभ राशि वालों की उतरती साढ़ेसाती होगी। धनु राशि वालों के चौथे घर में ढैया लगेगी। अर्थात कंटक शनि होंगे। वृश्चिक राशि वालों के पंचम घर में शनि आएंगे। जिसे महा पनौती कहा जाता है और सिंह राशि वालों के अष्टम घर में अर्थात अर्ध कंटक ढैया होगी।
आमतौर पर साढ़ेसाती को साढ़े सात वर्षों तक बोलकर देखा जाता है। किंतु साडेसाती 14 से 15 वर्षों का होता है।
इसके बहुत सारे उदाहरण हैं। सर्वप्रथम तो भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था। पांडवों को 12 वर्ष का वनवास, एक साल अज्ञातवास और 1 साल फिर महाभारत का युद्ध। उसके बाद उनके हाथ में सत्ता आई थी। राजा नल दमयंती को भी 14 वर्षों तक कष्ट उठाना पड़ा था। राजा हरिश्चंद्र को 14 वर्षों तक श्मशान में सेवा करनी पड़ी थी। राजा विक्रमादित्य को भी 14 वर्षों तक कष्ट भोगना पड़ा था। भगवान श्री कृष्ण के माता-पिता माता देवकी और वसुदेव जी को भी 14 वर्षों तक कारागार में कष्ट भोगना पड़ा। उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मुक्त कराया। जब देवकी माता ने 14 वर्षों तक जेल यातना के बारे में भगवान श्री कृष्ण से पूछा तो भगवान श्री कृष्ण ने स्पष्ट किया कि सब कर्मों का खेल है। कर्मफल सबको भोगना पड़ता है। भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि पिछले जन्म में जब मैं राम अवतार लिया था तब आप माता कैकेई थीं। आपने मुझे 14 वर्षों के लिए वन भेजा था और वसुदेव जी मेरे पिता दशरथ थे। जिन्होंने मुझे वनवास जाने की आज्ञा दी थी। इस कर्म के कारण इस जन्म में आप लोगों को 14 वर्षों का वनवास काटना पड़ा। माता देवकी जी ने पूछा फिर कौशल्या कहां है? इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि माता कौशल्या ही इस जन्म में यशोदा मैय्या हैं। पिछले जन्म में मैं उनसे 14 वर्षों तक दूर रहा। इसीलिए इस जन्म में 14 वर्षों तक मैं उनके साथ रहा और उन्होंने मेरे साथ बचपन का, मेरे बालपन का सारा सुख प्राप्त किया। फिर माता देवकी ने पूछा तो फिर सुमित्रा कहां है? इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि माता रोहिणी ही सुमित्रा का पुनर्जन्म हैं। पिछले जन्म में भी वो शेषनाग के अवतार लक्ष्मण जी की माता थी और इस जन्म में भी शेषनाग के अवतार बलराम जी की माता हैं।यह सब कर्मों का फल होता है। इसीलिए शनि को कर्म फल दाता भी कहते हैं। पिछले जन्मों के कर्मों का हिसाब किताब इस जन्म में शनि पाई पाई करके चुका देते हैं।
शनि की क्रूरता के शिकार भगवान श्री गणेश को भी होना पड़ा था। जब उनके जन्म के समय शनि की दृष्टि भगवान श्री गणेश के मुख पर पड़ी थी। अर्थात उनके सिर पर साढ़ेसाती आरंभ हुई तो गणपति का सिर स्वयं उनके पिता महादेव ने काट दिया। उसके बाद हाथी का सिर लगाया गया और 14 वर्षों तक भगवान श्री गणेश जी का अपमान होता रहा। 14 वर्षों के पश्चात महादेव ने उन्हें प्रथम पूज्य बनाकर संसार में आदर सत्कार प्रतिष्ठा दिलाए। शनि की क्रूरता का शिकार माता पार्वती को भी होना पड़ा। जब उनके पिता राजा दक्ष ने उनका अपमान किया और 14 वर्षों तक भगवान शिव माता पार्वती का राजा दक्ष के साथ रिश्ता खराब रहा और अंततः माता पार्वती को अपनी जान की आहुति देनी पड़ी।
वर्तमान युग में एक सबसे बड़ा उदाहरण है संत आसाराम बापू। जिनका कर्क लग्न और धनु राशि है। इनकी जन्म कुंडली में सन 2012 से शनि की साढ़ेसाती आरंभ हुई। आसाराम बापू की जन्म कुंडली में चंद्रमा छठे घर में बैठे हैं। छठा घर रोग, शत्रु, कर्ज, केस, मुकदमा, कोर्ट कचहरी, अपयश और बदनामी का घर माना जाताहै। 2013 में आसाराम बापू को जेल जाना पड़ा और अभी 2025 ईस्वी में जमानत पर छूट कर आए हैं। अभी लगभग 5 वर्षों तक उन्हें कोर्ट कचहरी के इस मामले में परेशान होना पड़ेगा। क्योंकि 29 मार्च से धनु राशि वालों की ढैया आरंभ होगी और 2027 से पनौती शनि चलेंगे। कुल मिलाकर अभी 5 वर्षों तक आसाराम बापू को और जूझना पड़ेगा। यह है शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव।
इस प्रकार जन्म कुंडली में चंद्रमा जहां बैठे होंगे उस घर से संबंधित बातों को लेकर साढ़ेसाती में जूझना पड़ता है। परेशान होना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी की जन्म कुंडली में चंद्रमा शरीर पर बैठे होंगे, लग्न में बैठे होंगे तो ऐसे व्यक्ति को साढ़ेसाती में भयानक शारीरिक कष्ट होता है और यदि कुंडली में ग्रह योग थोड़े खराब हो जाएं तो कैंसर, लकवा और हार्ट अटैक तक की स्थिति बन जाती है। अर्थात साढ़ेसाती में लंबे समय तक चलने वाली बीमारी हो जाती है। कई बार साढ़ेसाती में शुगर और बीपी की समस्या आरंभ होती है,जो जीवन भर चलता रहता है।

अतः साढेसाती 14 से 15 वर्षों तक कष्टदायक होता है। शनि देव 30 वर्षों के बाद एक राशि पर दोबारा वापस आते हैं। जिनमें से 15 वर्षों तक कष्टदायक होते हैं और 15 वर्षों तक उनके कष्टों से राहत मिलती है। जिसके कारण बाकी दूसरे ग्रह अपना शुभ फल दे पाते हैं। जब तक शनि की साढ़ेसाती, ढैया, पनौती चलती है। तब तक जन्म कुंडली के कोई भी राजयोग या किसी भी दूसरे ग्रह से कोई लाभ नहीं मिलता। यहां तक कि किसी भी प्रकार की पूजा पाठ से भी कोई लाभ नहीं होता। किसी भी तरह के उपाय करने से भी कोई लाभ नहीं होता। शनि अपना काम अच्छी तरह करते हैं। दुख देने में उनसे बेहतर दूसरा कोई देवता, कोई ग्रह नहीं है। अतः शनि भर भर कर जीवन में दुख और परेशानियां देने का काम बहुत अच्छी तरीके से, ईमानदारी से निभाते हैं। शनि की साढ़ेसाती, ढैया, महादशा अथवा पनौती शनि में किसी भी तरह की कोई भी पूजा पाठ किया जाए तो उससे कोई लाभ नहीं होता। हां इतना अवश्य हो जाता है कि शनि द्वारा दिए जाने वाले उन दुखों को सहने के लिए सहनशक्ति अच्छी मिल जाती है। दुखों को इंसान अच्छे से बर्दाश्त कर सकता है। बस इतना ही लाभ होता है। अतः साढ़ेसाती या शनि की बुरी दशा में किसी प्रकार की पूजा पाठ से, किसी प्रकार की कोई उम्मीद रखना इस संसार की सबसे बड़ी मूर्खता है।
कुछ लोगों को साढ़ेसाती में विशेष लाभ और उन्नति प्राप्त होती है। इसका सारा गणित चंद्रमा पर निर्भर करता है। यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा बलवान हो। अंश बल से बली हो। बुध, शुक्र अथवा बृहस्पति के प्रभाव में हों, तब जीवन में साढ़ेसाती में लाभ मिलता है।
इसके अलावा चंद्रमा जिस ग्रह के नक्षत्र में बैठा हो अर्थात चंद्रमा के नक्षत्र का स्वामी ग्रह जन्म कुंडली में यदि केंद्र, त्रिकोण, धन अथवा लाभ के घर में बैठा हो तब साढ़ेसाती में विशेष उन्नति और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ यदि स्वयं चंद्रमा केंद्र, त्रिकोण, लाभ अथवा धन के घर का स्वामी हो तभी साढ़ेसाती में धन की प्राप्ति होती है और विशेष उन्नति होती है। किंतु चंद्रमा जिस ग्रह के नक्षत्र में बैठे हो, उस नक्षत्र का स्वामी छठे, आठवें या 12वें घर में बैठा हो अथवा चंद्रमा छठे, आठवें, बारहवें घर के मालिक हो तब साढ़ेसाती शुरू होती है तो जीवन में बेहद कष्ट उठाने पड़ते हैं।
किंतु पंचम शनि अर्थात पनौती शनि में इस प्रकार के चंद्रमा से भी कोई विशेष लाभ नहीं होता। उसमें थोड़ा बहुत कष्ट भोगना ही पड़ता है।
साढ़ेसाती जितना कष्ट देता है, उससे अधिक शनि की कंटक ढैया अर्थात चतुर्थ भाव में बैठे शनि कष्टदायक होते हैं। ढैया से भी अत्यधिक कष्टदायक पंचम घर के पनौती शनि को माना जाता है।
साढ़ेसाती, ढैया और पनौती शनि में सबसे अधिक कष्ट उनको होता है जिनका चंद्रमा पीड़ित अथवा कमजोर हो। चंद्रमा जन्म कुंडली में यदि अंश और बल में कमजोर हो, अमावस्या के दिन जन्म हो, चंद्रमा जन्म कुंडली में नीच राशि में बैठे हो, चंद्रमा जन्म कुंडली में चौथे, छठे, आठवें और 12वें घर में बैठे हो।चंद्रमा, राहु केतु शनि अथवा मंगल के प्रभाव में हों,उनके साथ बैठे हों अथवा इन ग्रहों की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ रही हो। तब यह साढ़ेसाती अत्यंत कष्ट दायक, दुखदायक और कभी-कभी तो जानलेवा साबित होती है।
साढ़ेसाती, ढैया अथवा पनौती शनि के कार्यकाल में यदि जन्म कुंडली में किसी अशुभ ग्रह की महादशा, अंतर्दशा चल रही हो, मारकेश की दशा चल रही हो। तब जीवन में मृत्यु तुल्य कष्ट अथवा मृत्यु तक का सामना करना पड़ता है।
आईए विस्तार से जानते हैं कि शनि के इस गोचर का 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
सभी 12 राशियों वाले ध्यान रखें कि वैसे तो यह गोचर लगभग सभी के लिए अच्छा है। किंतु जब शनि वक्री होंगे तब भयंकर दुख और कष्ट प्रदान करेंगे। कोई भी ग्रह वक्री अवस्था में 5 गुना अधिक शक्तिशाली हो जाता है। अतः शनि के वक्री काल में बहुत सावधानी बरतें। अन्यथा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस वर्ष 13 जुलाई से 28 नवंबर तक शनि वक्री अवस्था में होंगे। इस समय विशेष में बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगी।

मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए राशि से 12 वें घर में शनि का गोचर होने जा रहा है। अतः मेष राशि वालों की साढ़ेसाती आरंभ हो जाएगी। साढ़ेसाती का यह प्रथम चरण होगा। मेष राशि वालों के सिर पर से साढ़ेसाती
आरंभ होगी। हालांकि शनि, देव गुरु बृहस्पति की मीन राशि में होंगे। अतः अधिक कष्ट तो नहीं होगा। किंतु जन्म कुंडली में यदि चंद्रमा पीड़ित हों अथवा किसी अशुभ ग्रह की महादशा अंतर्दशा चल रही हो तब यह साढ़ेसाती अत्यंत कष्टदायक हो जाएगी। यदि कोई व्यक्ति जन्म से मेष राशि का हो और उसका प्रचलित नाम भी मेष राशि का हो। अर्थात अ,च अथवा ल अक्षर से नाम हो तब यह साढ़ेसाती उस व्यक्ति के लिए दोगुना कष्टदायक हो जाएगी।
मेष राशि वालों की साढ़ेसाती आरंभ होते ही सबसे पहले मानसिक तनाव आरंभ हो जाएगा। नींद उचट जाएगी। बेचैनी इतनी बढ़ जाएगी की ठीक से नींद नहीं आएगी। Depression or Anxiety की समस्या भी होगी। अचानक खर्च बढ़ जाएंगे। बुरे सपने आने लगेंगे। समाज में अपयश, बदनामी, कलंक मिलने लगेगा। झगड़े झंझट होने लगेंगे। अनावश्यक रूप से किसी से भी विवाद हो जाएगा। शनि की तीसरी दृष्टि प्रभाव के कारण करीबी लोगों से, रिश्तेदारों से, मनमुटाव पैदा होने लगेगी। झगड़ा कलह के कारण मन अशांत रहेगा। संचित धन का नाश होने लगेगा। जमा रखे हुए पैसे अनावश्यक कार्यों में खर्च करने पड़ेंगे। आंखों की समस्या होगी। अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ेंगे। बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। अचानक किसी केस मुकदमे में उलझने का योग है। कोर्ट कचहरी का मामला लंबे समय तक चलेगा। जेल योग बनेगा। संभव है किसी पुराने मामले में जेल यात्रा करनी पड़े। अभी से लेकर लगातार 14 वर्षों तक पैरों में दर्द, पैरों में रोग की समस्या पैदा होगी। पेट से संबंधित परेशानियां भी आरंभ हो जाएंगी। किसी प्रकार के ऑपरेशन की भी संभावना बनेगी। पिता को भारी कष्ट होगा। यदि पिता किसी लंबी बीमारी से परेशान होंगे तो उन्हें मुक्ति भी मिल सकती है। पूजा पाठ में मन नहीं लगेगा। धर्म के विरुद्ध मन में भावनाएं पैदा होंगी। भाग्य का साथ नहीं मिलेगा। वाणी में कड़वाहट पैदा हो जाएगी। वाणी के कारण काफी नुकसान होगा। अपशब्द और गाली देने की आदत पड़ जाएगी। अतः अपने शब्दों पर नियंत्रण करना आवश्यक होगा।
यह सारी परेशानियां शनि के वक्री काल में अधिक देखने को मिलेंगी।

वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर बहुत ही शुभ फलदायक होने वाला है। वैसे भी वृषभ राशि के लिए शनि को राजयोग कारक ग्रह माना जाता है। शनि केंद्र त्रिकोण के मालिक होकर अत्यधिक शुभ फल प्रदायक होते हैं। 29 मार्च 2025 को वृषभ राशि के 11वें घर में शनि का गोचर होने जा रहा है। 11वां घर व्यक्ति की समस्त इच्छाओं की पूर्ति का घर माना जाता है। 11 वें घर से कामनाओं की पूर्ति का विचार किया जाता है। यह काम त्रिकोण का भाग्य स्थान होता है। अतः इस भाव से जीवन में सभी प्रकार के सुखों और मनोकामनाओं की पूर्ति का विचार किया जाता है। वृषभ राशि वालों के लिए 11 वें घर में शनि देव कामधेनु योग का निर्माण करेंगे। अतः 12 राशियों में सबसे श्रेष्ठ फल वृषभ राशि वालों को प्राप्त होगा। वृषभ राशि वालों की लगभग सभी कामनाएं पूर्ण हो जाएंगी।सारे सपने पूरे हो जाएंगे। जीवन में सभी प्रकार के सुख प्राप्त होंगे। भूमि, भवन, वाहन, चल अचल संपत्ति, मान सम्मान, यश प्रतिष्ठा, सभी प्रकार से सुखों की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा। विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई लिखाई, शिक्षा के लिए बहुत ही शुभ समय होगा। शिक्षा में उन्नति होगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। समाज में मान सम्मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कोई ऊंचा पद प्राप्त हो सकता है। यदि नौकरी की तलाश में हैं तो नौकरी मिल जाएगी। आमदनी का नया स्रोत मिलेगा। नया रोजगार मिलेगा। चारों तरफ से लाभ ही लाभ प्राप्त होंगे। विदेश यात्रा भी संभव है। कुल मिलाकर वृषभ राशि वालों के लिए सर्वश्रेष्ठ समय होगा। शनि के वक्री काल में थोड़ी सावधानी बरतें। अन्यथा थोड़ा मानसिक तनाव हो सकता है।

मिथुनराशि
मिथुन राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर लाभप्रद होगा। राशि से दशम घर में शनि देव विराजमान होंगे। केंद्र त्रिकोण लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होगा। शनि का यह राजयोग मिथुन राशि वालों के लिए अत्यंत शुभ फलदायक होगा। शनि के गोचर से रोजगार में वृद्धि होगी। नौकरी में तरक्की होगी। नौकरी की तलाश में है तो नौकरी मिल जाएगी। यदि पहले से ही नौकरी कर रहे हैं तो उन्नति होगी। प्रमोशन होगा। स्थान परिवर्तन भी संभव है। मन के अनुकूल स्थान परिवर्तन होगा। नया घर, भूमि, भवन, वाहन, चल अचल संपत्ति की प्राप्ति का योग बन रहा है। नया रोजगार शुरू करने का योग बन रहा है। यदि कोई व्यापार करना चाहते हैं तो नए व्यापार की शुरुआत करने के लिए अत्यंत शुभ समय होगा। आमदनी बढ़ेगी। धन संपत्ति की बढ़ोतरी होगी। यात्राएं होंगी। विदेश यात्राएं होंगी। लाभप्रद यात्राएं होंगी। घर परिवार में मांगलिक कार्य होंगे। यदि अविवाहित है तो विवाह होगा। विवाहित है तो दांपत्य जीवन सुखद होगा। संतान की कामना पूरी होगी। संतान प्राप्त होगी। यदि पहले से ही आपकी संतान है तो संतान की उन्नति होगी। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई अच्छी होगी। संतान का स्वास्थ्य अच्छा होगा। कुल मिलाकर अत्यंत सुखदायक समय होगा। थोड़ा पेट संबंधी परेशानी हो सकती है। अतः अपने पाचन क्रिया का ध्यान रखें। विशेष रूप से शनि के वक्री काल में सावधान रहें।

कर्क राशि
कर्क राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर बहुत ही शुभ फलदायक होगा। 29 मार्च 2025 को शनि की ढैया समाप्त हो जाएगी। शनिदेव का गोचर भाग्य स्थान पर होने के कारण भाग्य वृद्धि होगी। शनि की तीसरी दृष्टि प्रभाव से आमदनी की बढ़ोतरी होगी। आमदनी का नया स्रोत मिलेगा। धन संपत्ति की वृद्धि होगी। पिछले कई वर्षों से जो कामना अधूरी थी, वह पूरी हो जाएगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।धन संग्रह होगा। बैंक बैलेंस बना लेंगे। दांपत्य जीवन सुखद हो जाएगा। घर में प्रसन्नता का वातावरण होगा। चारों तरफ से खुशहाली आएगी। कुल मिलाकर अत्यंत श्रेष्ठ और शुभ फलदायक समय होगा। भाई बहनों से सहयोग मिलेगा। भाई बहनों से रिश्तों में सुधार होगा। पुराने रोगों का नाश होगा। स्वास्थ्य अच्छा हो जाएगा। नौकरी में प्रमोशन होगा। कुल मिलाकर सभी प्रकार से श्रेष्ठ समय होगा। शनि के वक्री काल में थोड़ा स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यकहोगा।

सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर थोड़ा परेशान करने वाला होगा। 29 मार्च 2025 से सिंह राशि वालों के लिए अष्टम घर में अर्ध कंटक ढैया आरंभ हो जाएगी। आकस्मिक परेशानियां आयेंगी।स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होंगी।किसी प्रकार की गुप्त बीमारी का योग बन रहा है। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। खर्च की अधिकता रहेगी।संचित धन का नाश होगा। पहले से रखे हुए जमा धन अनावश्यक रूप से खर्च हो जाएंगे। जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। धन की कमी का एहसास होगा‌ रोजगार में समस्या उत्पन्न होगी‌ स्थान परिवर्तन होगा। जो मन के अनुकूल नहीं होगा। वाणी में कटुता आ जाएगी। रिश्तेदारों से मनमुटाव हो जाएगा। आंखों की समस्या होगी। मन सदैव दुखी रहेगा।रोजगार, व्यापार, व्यवसाय, नौकरी में बड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। पेट से संबंधित रोग भी परेशान करेंगे।
कुल मिलाकर उलझन भरा समय होगा। शनि के वक्री काल में परेशानी थोड़ा अधिक होगी। अतः विशेष सावधानी बरतें।

कन्याराशि
कन्या राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर सप्तम घर में होगा। यह गोचर थोड़ा अच्छा थोड़ा खराब देखने को मिलेगा। अपने दांपत्य जीवन का विशेष ध्यान रखें। दांपत्य जीवन में समस्याएं आ सकती हैं। यदि पहले से कोई विवाद चल रहा था तो अलगाव अर्थात तलाक संभव है। यदि दांपत्य जीवन सुखद है तो मनमुटाव की स्थिति पैदा हो जाएगी। जीवनसाथी को स्वास्थ्य में परेशानियां आएंगी।आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव आ जाएगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। किंतु भूमि, भवन, वाहन इत्यादि का लाभ मिलेगा। यदि घर मकान खरीदना चाहते हैं तो मिल जाएगा। किसी तरह का कोई बैंक से लोन लेना चाहते हैं तो मिल जाएगा। नौकरी में परेशानियां आयेंगी।हो सकता है कि शनि के वक्री काल में नौकरी छूट जाए। किंतु बाद में दूसरी नौकरी मिल जाएगी। व्यापार व्यवसाय में भी उतार-चढ़ाव एवं संघर्ष देखने को मिलेगा। कुल मिलाकर मिला-जुला समय व्यतीत होगा।

तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर अत्यंत शुभ फलदायक होने जा रहा है। पिछले 14 - 15 वर्षों से तुला राशि वालों के जीवन में जो संघर्ष, जो दुख, जो परेशानियां चल रही थीं।अब उन सभी दुख और परेशानियों के समाप्त होने का समय आ गया है।शनिदेव का यह गोचर तुला राशि से छठे घर में होने जा रहा है। छठा घर शनि का कारक स्थान माना जाता है। इस घर में शनि को अत्यंत शुभ फलदायक माना जाता है। छठा घर अर्थ त्रिकोण अर्थात धन त्रिकोण का पंचम स्थान है। अतः शनिदेव यहां पर खजाना खोल देंगे। चारों तरफ से धन की प्राप्ति होगी। पिछले कई वर्षों के संघर्ष का, परिश्रम का अत्यंत श्रेष्ठ और शुभ फल प्राप्त होंगे। छठा घर रोग, रिपु, कर्ज और परेशानियों का होता है। इस घर में बलवान होकर शनिदेव विराजमान होंगे। अतः आपके सभी संघर्षों का नाश कर देंगे। विरोधियों को परास्त कर देंगे। आपके सभी शत्रुओं को समूह नष्ट कर देंगे। नौकरी में, रोजगार में, करियर में शानदार उन्नति और तरक्की मिलेगी। विशेष रूप से नौकरी में सर्वश्रेष्ठ लाभ मिलेगा। आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो जाएगी। शनि की तीसरी दृष्टि प्रभाव से आकस्मिक धन प्राप्त होंगे। बड़ी मात्रा में धन की प्राप्ति होगी। जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी ना होगा। नया घर, भूमि, भवन, वाहन इत्यादि खरीद लेंगे। शनि की खर्चे पर दृष्टि शुभ कार्यों में खर्च करावेगी। जीवन में नयापन आएगा। सारे कर्ज समाप्त हो जाएंगे। सुख शांति और समृद्धि बढ़ेगी। खर्च की अधिकता के बावजूद भी बड़ी मात्रा में जमा धन इकट्ठा कर लेंगे। प्रसन्नता मिलेगी। घर परिवार में, दांपत्य जीवन में खुशहाली मिलेगी। जिस काम में भी हाथ डालेंगे उसी में सफलता मिल जाएगी। जिस प्रोफेशन में आप होंगे उसी में आपको बहुत बड़ी सफलता मिलेगी। संतान पक्ष से भी आपको शुभ फल प्राप्त होंगे। संतान की उन्नति और तरक्की से मन प्रसन्न होगा। जीवन के सभी क्षेत्रों से भरपूर लाभ और प्रसन्नता मिलेगी। आपका स्वास्थ्य बहुत अच्छा हो जाएगा। पुरानी सभी बीमारियों का अंत हो जाएगा। विदेश यात्रा होगी। लंबी दूरी की यात्राएं होंगी। यात्रा से धन का लाभ होगा। पराक्रम बढ़ेगा। आत्मविश्वास बढ़ेगा। लगातार सफलताएं मिलेंगी। ऐसा लगेगा जैसे स्वर्ग का आनंद और सुख मिल रहा है। अचानक से प्रसिद्धि प्राप्त होगी। यह गोचर धन, स्वास्थ्य और करियर के लिए सर्वश्रेष्ठ होगा। किसी भी प्रकार के विवाद में फंसे होंगे तो उसका निपटारा हो जाएगा। समाज में मान सम्मान बढ़ेगा। ऊंचा स्थान प्राप्त होगा। आप जिस प्रोफेशन में होंगे उसमें आपको ऊंचा पद प्राप्त होगा। प्रेम संबंधों में सुधार होगा। नया प्रेम प्रसंग शुरू होगा। प्रेमी प्रेमिकाओं के लिए बहुत ही शुभ फलदायक समय होगा। प्रेम और रोमांस के लिए यह समय अत्यंत श्रेष्ठ होगा।
कुल मिलाकर तुला राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर श्रेष्ठतम शुभ फलदायक होगा।
शनि के वक्री काल में थोड़ा सतर्क सावधान रहें।

वृश्चिकराशि
वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर राशि से पंचम घर में होने जा रहा है। जिसे पनौती शनि के नाम से जाना जाता है। यह समय अच्छा नहीं माना जाता। साढ़ेसाती और ढैया से भी इसे अधिक कष्टदायक माना जाता है। किंतु शनि देव केंद्र त्रिकोण लक्ष्मी नारायण राज योग बना रहे हैं। इसके कारण अधिक कष्ट नहीं होगा। कुछ शुभ फलों की भी प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य को लेकर थोड़ी परेशानी होगी। संतान को थोड़ा कष्ट हो सकता है। दांपत्य जीवन में सुधार होगा। सुख बढ़ेगा। प्रेमी प्रेमिकाओं के लिए समय अनुकूल रहेगा। प्रेम में सफलता मिलेगी। नया प्रेम प्रसंग आरंभ हो सकता है। रोमांस के लिए शुभ समय होगा। बीते कई वर्षों से चली आ रही समस्याएं समाप्त होगी। जीवन में सुख और आनंद की प्राप्ति होगी। व्यापार व्यवसाय में लाभ मिलेगा। धन का लाभ होगा। आमदनी में बढ़ोतरी होगी ।मन के अनुकूल कार्य होगा। रिश्तेदारों से मनमुटाव हो सकता है। कुछ रिश्तो में दरार पड़ जाएगी। कुछ रिश्ते छूट जाएंगे। वाणी में कड़वाहट आ जाएगी। गाली गलौज की आदत पड़ सकती है। कुटुंब परिवार में आपसी कलह और झगड़े होंगे।
पंचम शनि के कारण थोड़ा मानसिक तनाव रहेगा। कुल मिलाकर वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर लगभग अच्छा होगा।

धनु राशि
धनु राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर चौथे घर में होने जा रहा है। 29 मार्च 2025 से शनि की ढैया आरंभ हो जाएगी।चौथे घर में शनि की ढैया कंटक शनि के नाम से जाने जाता है। स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें। स्वस्थ में समस्या पैदा हो सकती है। लंबे समय तक चलने वाली कोई नई बीमारी हो सकती है। किसी प्रकार का ऑपरेशन हो सकता है। पैरों का विशेष ध्यान रखें। पैरों में चोट चपेट की संभावना है। दुर्घटना की संभावना बन रही है। यात्रा में सावधानी बरतें। मानसिक तनाव अधिक रहेगा। नया घर मकान अथवा घर मकान की उन्नति का योग बन रहा है। अचल संपत्ति और वाहन सुख प्राप्त होंगे।स्थान परिवर्तन का योग बन रहा है। माता का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहेगा। अपने स्वयं के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। आर्थिक लाभ में कमी आएगी। संघर्ष करके लाभ मिलेगा। नौकरी में परेशानियां आयेंगी। रोजगार व्यवसाय में कष्टों का सामना करना पड़ेगा। वहां में बार-बार खराबी आएगी समय-समय पर दो पहिया, चार पहिया वाहन में अधिक खर्च करना पड़ेगा। पारिवारिक विवाद, घरेलू झगड़े परेशान करेंगे।
किसी प्रकार के प्रेम संबंध में होंगे तो गुप्त संबंध का राज खुलने का डर होगा। शत्रुओं से परेशानी होगी। लड़ाई झगड़े की संभावना रहेगी। घर में अशांति का वातावरण होगा। कोई अपयश मिल सकता है। पारिवारिक झगड़े और विवाद होंगे।
शनि के वक्री काल में विशेष सावधानी बरतें।

मकर राशि
मकर राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर शुभ फलदायक होगा। साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी।
राशि से तीसरे घर में शनि का यह गोचर लाभदायक होगा। जन्म कुंडली का तीसरा घर काम त्रिकोण का लग्न होता है। अतः यहां कामनाओं की पूर्ति का योग बनेगा। आत्मविश्वास बढ़ेगा। परिश्रम बढ़ेगा। नए रोजगार की प्राप्ति होगी। आमदनी का नया स्रोत मिलेगा। कई स्रोतों से आमदनी होगी। जबरदस्त आर्थिक लाभ होंगे। नई उम्मीदें जागेंगी। नौकरी, व्यापार, व्यवसाय में नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे।पारिवारिक जीवन में सुख मिलेगा। दांपत्य जीवन सुखद होगा। यदि अविवाहित हैं तो विवाह हो जाएगा।यदि संतान की कामना है तो संतान प्राप्त होगी। आपको पहले से ही संतान है तो संतान की उन्नति से मन प्रसन्न होगा। कुल मिलाकर मकर राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर शुभ फलदायक होगा। वक्री शनि के समय घर परिवार में कलह होगा। लड़ाई झगड़े होंगे। किसी प्रकार के व्यर्थ विवाद में ना पड़ें।अपनी भाषा और वाणी का ध्यान रखें। वाणी में कटुता आ सकती है।
शनि के वक्री काल की स्थिति छोड़ दें तो कुल मिलाकर यह गोचर शुभ फलदायक होगा।

कुंभराशि
कुंभ राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर शुभ फलदायक होगा। शनि की साढ़ेसाती का यह तीसरा चरण होगा। पैरों पर से साढ़ेसाती उतरती हुई होगी। राशि से दूसरे घर में धन के घर में शनि का यह गोचर धन के कारक देव गुरु बृहस्पति की मीन राशि पर होने जा रहा है। अतः शनि यहां पर धन की बढ़ोतरी करेंगे। धनवान बनाएंगे। आमदनी में वृद्धि होगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा। वाणी में सुधार होगा। वाणी में मिठास आएगी। कुटुंब परिवार रिश्तेदारों से संबंधों में सुधार होगा। शनि की तीसरी दृष्टि प्रभाव के कारण घरेलू विवाद की संभावना रहेगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। दांपत्य जीवन के लिए समय अच्छा रहेगा। अविवाहित हैं तो विवाह होगा। संतान की कामना है तो संतान प्राप्त होगी। यदि पहले से ही संतान है तो संतान की उन्नति से मन प्रसन्न होगा। संतान की शिक्षा और करियर के लिए यह समय सर्वश्रेष्ठ होगा। संतान की उन्नति से मन प्रसन्न हो जाएगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा। पहले से चली आ रही बीमारी से राहत मिलेगी।
शनि के वक्री काल में धन खर्च की अधिकता रहेगी। थोड़ा मानसिक तनाव और स्वास्थ्य में परेशानी आ सकती है‌ सावधानी बरतें। कुंभ राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर शुभ फलदायक होगा।

मीन राशि
मीन राशि वालों के लिए राशि पर से ही शनि का गोचर होने जा रहा है। मध्य साढ़ेसाती चलेगी। मध्य साढेसाती अत्यंत प्रभावशाली होती है। शनि की सीधी दृष्टि के कारण दांपत्य जीवन में परेशानियां आयेंगी।जीवनसाथी के साथ रिश्तों में दरार पड़ सकती है। यदि पहले से कोई विवाद चल रहा है तो तलाक होने की संभावना रहेगी। यदि अविवाहित हैं तो विवाह होने में कठिनाई पैदा होगी। पार्टनरशिप के व्यवसाय में हानि होने की संभावना है। पार्टनर के साथ किसी प्रकार का कोई विवाद हो जाएगा। मानसिक तनाव अधिक रहेगा। प्रत्येक कार्य में देरी होगी। कोई भी कार्य समय पर नहीं होगा। किसी भी कार्य को करने के लिए अत्यधिक परिश्रम करना पड़ेगा। मानसिक तनाव बढ़ेगा। पहले से यदि किसी रोग से ग्रसित हैं तो रोग में अचानक भयंकर वृद्धि का योग बनेगा। जिसके कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। लंबे समय तक चलने वाली बीमारी की संभावना है। यदि स्वस्थ हैं तो नई बीमारी लग जाएगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। बार-बार बीमार पड़ने की संभावना है। कई प्रकार के रोग व्याधि की अधिकता रहेगी। अनावश्यक खर्चे से परेशानियां बढ़ेंगी। आर्थिक तंगी आ जाएगी। आमदनी में वृद्धि होगी। किंतु खर्च की अधिकता के कारण कर्ज लेना पड़ेगा। आर्थिक तंगी बनी रहेगी।कुल मिलाकर शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, पारिवारिक और दांपत्य जीवन के लिए समय अत्यंत कठिन होगा। चारों तरफ की परेशानियों से मन विचलित हो जाएगा।
शनि के वक्री काल में आर्थिक हानि अधिक होगी। कर्ज लेना पड़ेगा। पैरों में कष्ट होगा। पेट से संबंधित बीमारियां परेशान करेंगी।अपयश, अपमान और कलंक झेलना पड़ेगा। कुल मिलाकर मीन राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर किसी भी प्रकार से अच्छा नहींहै।

उपाय
शनि के दुष्प्रभाव से बचना बड़ा ही कठिन होता है। वैसे तो कोई भी उपाय विशेष लाभदायक नहीं होता। फिर भी शनि के अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए श्री हनुमान जी की पूजा शुभ मानी जाती है। प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना, सुंदरकांड का पाठ करना, मंगलवार ,शनिवार को श्री हनुमान जी के मंदिर में जाकर उनके दर्शन करना, शनिवार के दिन शनि मंत्रों का जाप करना, समय-समय पर छाया दान करना, रुद्राभिषेक करवाना। इन सबसे लाभ होता है।शनि के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
विशेष रूप से गायत्री मंत्र का जाप करने से राहत मिलती है। सात्विक जीवन अपनाना अच्छा रहता है। किसी भी प्रकार के नशे और मांसाहार से दूर रहें। व्यर्थ के विवादों में ना पड़ें। किसी के साथ बुरा व्यवहार ना करें।
इति शुभमस्तु!!कल्याणमस्तु!!
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