भयानक कष्टदायक होती है शनि की पनौती
हर हर महादेव!!
लेखक: रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन। ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ।
शनि.... यह नाम ही काफी है भय उत्पन्न करने के लिए। शनि के नाम से ही रुह कांप जाती है। क्योंकि काल पुरुष के विषाद अर्थात दुःख हैं शनि। जीवन में हद से ज्यादा दुख और कष्ट देते हैं शनि। देव समाज में शनि को न्यायाधीश का पद दिया गया है। अतः शनि को क्रूर ग्रह, पाप ग्रह, दुष्ट ग्रह की संज्ञा दी गई है।न्यायाधीश होने के नाते शनि देव न्याय करते समय कुछ भी नहीं देखते।चाहे कोई पापी हो, पुण्य आत्मा हो, दिव्य आत्मा हो, ईश्वर का भक्त हो, तपस्वी हो सबके साथ न्याय करते हैं और छोटे से छोटे कर्मों का दंड देने का काम करते हैं। किसी को दुःख देते समय शनि देव तनिक भी विचार नहीं करते। इसीलिए शनि से लोग डरते हैं।
आमतौर पर साढ़ेसाती के नाम से लोग भयभीत हो जाते हैं। जबकि सत्य यह है कि साढ़ेसाती से अधिक शनि की ढैया में कष्ट होता है। परंतु ढैया से कई गुना अधिक कष्ट होता है शनि के पंचम घर में आने से। जिसे पनौती शनि के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर यह पनौती शब्द आम बोलचाल की भाषा में प्रायः लोग इस्तेमाल करते हैं। किंतु जिनके ऊपर यह पनौती शनि बीत रहा होता है, वही जानते हैं इसके दुष्प्रभाव के बारे में। यह पनौती शनि जीवन और मृत्यु का प्रश्न चिन्ह लगा देता है।
वर्तमान समय में जनवरी 2023 से तुला राशि के ऊपर शनि की पनौती चल रही है। जो 29 मार्च 2025 को समाप्त होगी। वैसे तो पनौती शनि सभी राशि वालों के लिए कष्टदायक होता है। किंतु तुला राशि वालों को शनि की पनौती का सबसे अधिक कष्ट भोगना पड़ता है। तुला राशि वालों के पंचम में उच्च के शनि होते हैं, किंतु उनकी तीनों ही दृष्टियां जिसमें अशुभता और जहर भरा होता है जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। यहां तक की तुला राशि वालों के लिए इतना कष्टदायक बन जाते हैं कि ऐसे में व्यक्ति जीने से अधिक मरने में सुकून महसूस करता है। क्योंकि शनि देव की तीनों दृष्टियां व्यक्ति को जीने ही नहीं देती। कई बार ही ऐसा देखा जाता है कि जब तुला राशि वालों के पंचम में शनि आते हैं तो उनकी मृत्यु तक हो जाती है। कुछ लोग आत्महत्या कर लेते हैं।
राशि से पंचम घर में जब शनि आते हैं तब उनकी तीन दृष्टियां तहलका मचा देती है। तीसरी दृष्टि सप्तम घर में होने के कारण दांपत्य जीवन बिखर जाता है। शादी टूट जाती है। तलाक हो जाता है या दांपत्य जीवन में किसी प्रकार के दुर्घटना हो जाती है। शनि की सातवीं दृष्टि की वजह से आमदनी के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं और शनि के दशमी दृष्टि द्वितीय भाव में पड़ने के कारण कुटुंब परिवार रिश्तेदारों से झगड़ा कलह होने शुरू हो जाते हैं। जिसके कारण सारे रिश्ते नाते टूट जाते हैं और व्यक्ति बिल्कुल एक किनारे अलग पड़ जाता है। साथ ही साथ यह वाणी का स्थान है। अतः वाणी में विकार, वाणी में कटुता उत्पन्न कर देता है। दूसरा घर धन का भी होता है। जीवन में जितने भी संचित धन होते हैं, जमा पूंजी होती है। सभी जमाधान का नाश कर देते हैं। व्यक्ति को धनहीन बना देते हैं। रोजगार विहीन बना देते हैं। व्यक्ति के पास ना तो रोजगार होता है, ना रिश्ता नाता परिवार होता है, ना सगे संबंधी होते हैं, ना धन होता है, ना ही किसी प्रकार का कोई सुख होता है। यहां तक की संतान से भी, मित्रों से भी विवाद हो जाता है। मित्रों से, संतान से दूरियां बन जाती हैं। यदि संतान छोटी उम्र की है तो उसकी पढ़ाई लिखाई, उसके स्वास्थ्य को लेकर निरंतर संघर्ष बना रहता है। अतः व्यक्ति लाचार होकर जीवन से अधिक मृत्यु में शांति महसूस करता है।
पंचम शनि का सबसे बड़ा प्रभाव शनि के वक्री काल में देखने को मिलता है जब गोचर में शनि वक्री होते हैं और पंचम घर में बैठे होते हैं। तब ऐसा लगता है कि अब जीने से कोई फायदा नहीं है। व्यक्ति सदैव उदास और रोता हुआ रहता है।
पंचम शनि अर्थात पनौती शनि के समय श्री हनुमान जी की पूजा और भोलेनाथ की आराधना से राहत अवश्य मिलती है। पंचम घर में शनि का जैसे ही गोचर हो श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करवाएं और शनि के मत्रों का जाप करें और करवाएं।
यदि जन्म कुंडली में शनि मार्केश हों,मारक ग्रहों के साथ संबंध बना रहे हों एवं दूसरे अथवा सातवें घर में अर्थात मारक स्थान पर बैठे हों। ऐसी स्थिति में जब पंचम घर में शनि आते हैं तब जीवन में बहुत बड़ी दुर्घटना उत्पन्न कर देते हैं।
पंचम घर के शनि के बारे में कहा जाता है कि
घर छुड़ाएं, परिवार छुड़ाएं, रोजगार, कारोबार छुड़ाएं, स्थिति बिगड़े तो संसार छुड़ाएं।
गोचर में राशि से पंचम घर में आए शनि के बारे में कहा जाता है कि ऐसा शनि जब तक व्यक्ति को टूटे-फूटे बर्तन में भोजन न करा दे, घर से बेघर ना कर दे, जब तक इस प्रकार की दुर्गति ना कर दे, तब तक शनि देव को चैन नहीं पड़ता।
जन्म कुंडली में यदि शनि देव पंचमेश या भाग्येश हों। साथ ही शनि वक्री होकर कुंडली में विराजमान हो। अर्थात वृषभ लग्न, मिथुन लग्न, कन्या लग्न और तुला लग्न वालों की जन्म कुंडली हो जब पंचम शनि आते हैं तब बहुत अधिक कष्ट नहीं देते। किंतु मानसिक तनाव देते हैं।
पंचम शनि का सबसे बुरा प्रभाव मेष लग्न, कर्क लग्न, सिंह लग्न और मकर लग्न में देखने को मिलता है। जन्म कुंडली में शनि यदि वक्री हैं तब थोड़ी राहत मिलती है। किंतु यदि शनि मार्गी हों और चंद्रमा के साथ सीधा-सीधा संबंध बना रहे हों तब अधिक कष्टदायक हो जाते हैं।
29 मार्च 2025 से वृश्चिक राशि वालों की शनि की पनौती आरंभ होगी। अर्थात वृश्चिक राशि से पांचवें घर में शनि का गोचर होगा। शनि की यह तनौती 3 जुलाई 2027 तक चलेगी। वृश्चिक वालों को बहुत ही अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। पंचम घर में आते हैं शनि देव संतान को पीड़ा और कष्ट देते हैं। संतान से संबंधित परेशानियां बढ़ जाती हैं। बच्चों की पढ़ाई लिखाई, उनके स्वास्थ्य से लेकर कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।यदि संतान वयस्क है तो उससे रिश्ते खराब हो जाते हैं अथवा ऐसी अवस्था में संतान माता-पिता से, घर से दूर चले हैं। जिसके कारण घर में अशांति और कष्ट का माहौल बन जाता है।
विद्यार्थियों के लिए यह समय अच्छा नहीं होगा। पढ़ाई लिखाई में लगातार असफलता का सामना करना पड़ेगा। अथवा पढ़ाई लिखाई किसी न किसी कारण से छोड़ना पड़ेगा। अर्थात शिक्षा में बाधा उत्पन्न हो जाएगी। पेट से संबंधित रोग परेशान करेंगे। कुछ ना कुछ रोग व्याधि शरीर में चलता रहेगा। जब तक पंचम घर में शनि रहेंगे तब तक दवाइयां चलती रहेंगी।
जुआ, सट्टा, लॉटरी और शेयर में भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। धन का निवेश गलत जगह हो जाने के कारण धन का नाश हो जाएगा अथवा बुरी तरीके से धन कहीं फंस जाएगा।
शनि की तीसरी दृष्टि के प्रभाव से दांपत्य जीवन में परेशानियां उत्पन्न हो जाएंगी।जीवनसाथी को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ेगा। रोजगार व्यवसाय में हानि होगी। संभव है कि चलता हुआ कारोबार, चलता हुआ रोजगार बंद करना पड़े। यदि पार्टनरशिप में कोई व्यवसाय कर रहे होंगे तो पार्टनर के साथ झगड़ा हो जाएगा। संभव है की पार्टनरशिप टूट जाए। व्यापार में, रोजगार में भारी नुकसान का सामना करना पड़े। यदि पहले से ही कोई समस्या चल रही हो तो दांपत्य जीवन के टूटने अर्थात तलाक होने की संभावना रहेगी। किसी ने किसी कारण से जीवनसाथी से दूरी बन जाएगी। पेशाब से संबंधित रोग व्याधि से परेशान होंगे। स्थान परिवर्तन की संभावना रहेगी। संभव है की वर्तमान समय में जहां रह रहे हों उस स्थान को छोड़कर कहीं और जाना पड़े। अर्थात घर परिवार छोड़ना पड़े।
प्रेम संबंधों में परेशानियां आयेंगी। प्रेमी प्रेमिकाओं के बीच मतभेद पैदा होगा। संभव है प्रेम संबंध टूट जाए और भयानक मानसिक तनाव का सामना करना पड़े। यहां तक की बातचीत तक बंद हो जाएगी। पूरी तरह से प्रेम संबंध टूटजाएगा।
शनि की सातवीं दृष्टि के प्रभाव से मित्रों से धोखा मिलेगा। बड़े भाई बहनों के साथ रिश्ते बिगड़ जाएंगे। आमदनी के रास्ते धीरे-धीरे बंद हो जाएंगे। धन का बड़ा अभाव महसूस होगा। आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होंगी।कर्ज लेने की स्थिति पैदा हो जाएगी। संभव है की कर्ज लेने में भी बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़े।
शनि की दशवीं दृष्टि के प्रभाव से रिश्तेदारों से झगड़ा और कलह होंगे। जिसके कारण रिश्तेदारों से भी रिश्ते बिगड़ जाएंगे। वाणी में दोष उत्पन्न हो जाएगा। वाणी में कड़वाहट आ जाएगी। जिसके कारण अपशब्द बोलने की, गाली गलौज करने की आदत पड़ जाएगी। आंखों में रोग और कष्ट उत्पन्न होंगे। दांतों में समस्याएं पैदा होगी।
जन्म कुंडली का पांचवा घर प्रारब्ध अर्थात पिछले जन्म के कर्मों का होता है। शनि देव को कर्म फल दाता कहा जाता है। अतः पंचम घर में शनि के गोचर करने से पिछले जन्मों के कर्म दोषों का फल भोगना पड़ता है।
वृश्चिक राशि वालों के लिए पंचम घर में मीन राशि पर शनि के आते ही सबसे पहले मान सम्मान की हानि होगी। पद प्रतिष्ठा की हानि होगी यदि नौकरी में किसी अच्छे पद पर कार्यरत हैं तो संभव है कि उस पद से हटा दिया जाए अथवा नौकरी छूट जाए। मान सम्मान की कमी हो जाएगी। किसी प्रकार का कोई आरोप अथवा कलंक लग जाए। यदि अभी तक संतान उत्पन्न नहीं हुई है तो संतान प्राप्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। इस अवधि में ऐसा महसूस होगा जैसे किसी दलदल में फंस गए हैं। कितना भी हाथ पैर मार लें कोई काम नहीं बनेगा। सारे काम बिगड़ते चले जाएंगे और अथक प्रयास और मेहनत के बाद भी जब कोई काम समय पर पूरा नहीं होगा तो निराश होकर आप हार कर, थककर बैठ जाएंगे। कोई भी काम 99% होकर 1% के लिए छूट जाएगा। आता हुआ धन रुक जाएगा। ऐसा लगेगा कि बस अब यह धन प्राप्त हो जाएगा। किंतु आप सोचते रह जाएंगे और समय निकल जाएगा। किंतु धन प्राप्त नहीं होगा।
अत्यधिक परेशानियों के कारण धर्म-कर्म के प्रति रुचि बढ़ेगी पूजा पाठ भगवान के प्रति प्रेम बढ़ेगा।
अत्यधिक तनाव के कारण काम इच्छा और रोमांस में कमी आ जाएगी। यदि वृद्धावस्था में हों तो फिर भी ठीक है। किंतु युवावस्था के लोगों में भी काम इच्छा में कमी उत्पन्न हो जाएगी। सेक्स पावर कमजोर हो जाएगा। जिसके कारण चिड़चिड़ापन उत्पन्न होगा।
कुछ गलत लोन अथवा बेवजह कर्ज लेना पड़ेगा। जिसके कारण आने वाले कई वर्षों तक कर्ज चलता रहेगा। पंचम घर में शनि के गोचर के कारण व्यक्ति को ज्ञान बहुत प्राप्त होता है। व्यक्ति बुद्धिमान हो जाता है। संघर्ष करते-करते ,दुख और संघर्ष से बाहर निकलने के लिए सोचते सोचते, ज्ञान और बुद्धि तीव्र हो जाती है। किंतु व्यक्ति जीवन में कुछ कर नहीं पाता और अंततः Depression एवं Anxiety का शिकार हो जाता है।
किसी प्रकार का नशा, सिगरेट, शराब या अन्य किसी प्रकार का नशा अथवा जुए की लत लग सकती है। सावधान रहें।
पंचम शनि के कारण घर में दरिद्रता का निवास हो जाता है। जिसके कारण आप स्वयं की बीमार होते हैं। बीमारी की इलाज में अनावश्यक खर्च होता है। साथ ही साथ घर में कोई ना कोई सदस्य अवश्य बीमार रहता है। एक के बाद एक घर के सदस्य बीमार होते रहते हैं और बीमारी की इलाज पर धन खर्च होता रहता है।अत्यधिक खर्च के कारण व्यक्ति पूरी तरह से आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाता है।
मित्रों से धोखा मिलेगा। आपने जिनकी सहायता की होगी, वही आपके साथ इस समय बुरा बर्ताव करेंगे। जिसके कारण आपके आंसू निकल आएंगे। किसी से भी आप सहायता मांगेंगे तो सहायता नहीं मिलेगी। आपको निराश होना पड़ेगा।
शनि की दसवीं दृष्टि के प्रभाव के कारण जमा धान खर्च हो जाएंगे। संचित धन का नाश हो जाएगा। बैंक बैलेंस खाली हो जाएगा। कुटुंब, परिवार, रिश्तेदारों से झगड़े और कलह होंगे। कहीं से भी कोई सहायता नहीं मिलेगी। अब आपको पता चलेगा कि आपका कोई अपना सगा नहीं है।
जन्म कुंडली का दूसरा घर जहां पर शनि की दशवीं दृष्टि पड़ेगी। अर्थ (धन) त्रिकोण का लग्न होने के कारण धन, संपत्ति, रूपए पैसे, रोजगार और करियर इन सबको खराब कर देगा।
भारतवर्ष के वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी की जन्म कुंडली भी वृश्चिक लग्न और वृश्चिक राशि की है। इनकी जन्म कुंडली से, इनकी जन्म राशि से शनि देव पांचवें घर में आने वाले हैं। जिसे पनौती शनि कहा जाता है। जिसके प्रभाव के कारण 29 मार्च 2025 से 3 जुलाई 2027 के बीच इन्हें कभी भी प्रधानमंत्री पद का त्याग करना पड़ सकता है। इस वर्ष शनि के वक्री काल 13 जुलाई 2025 से 28 नवंबर 2025 के बीच भी ऐसी स्थिति बन सकती है।कारण चाहे जो भी हो इनका प्रधानमंत्री पद छूट जाएगा। ऐसा योग बन रहा है।
इस प्रकार शनि की पनौती से वृश्चिक राशि वालों को बेहद कष्ट मिलने वाला है। सदैव हनुमान जी की सेवा पूजा करते रहें। तब आप शनि के इस बुरे प्रभाव से बच सकते हैं।
भोलेनाथ महादेव और श्री हनुमान जी की कृपा आप पर बनी रहे और शनि देव आपके ऊपर कृपा करें।
स्वस्ति शुभमस्तु!!
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com