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मोहब्बत की जंग

मोहब्बत की जंग

न हम हारे न तुम जीते
न तुम हारे न हम जीते।
मोहब्बत की इस जंग का
परिणाम कुछ निकला ही नही।
मगर जंग हम दोनों की
अभी भी जारी है देखो।
करें तो क्या करें अब हम
जो ये जंग रुक जाये।।

भले ही हम दोनों देखो
आपस में लड़ते रहते है।
और एक दूसरे से हम
रोज मिलते जुलते है।
आँखो और जुबा की जंग
सदा ही होती रहती है।
जिसमें हम दोनों का प्यार
बहुत ज्यादा ही झलकता है।।

प्यार मोहब्बत की जंग में
प्यार ही प्यार होता है।
फर्क समझने वालों की
निगाह नियत में होता है।
और इसका दोष जमाने को
कुछ ज्यादा ही जाता है।
जो मोहब्बत का मजाक
बनाकर मजा लेते है।।

जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई


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