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इन्द्रधनुषी किरदार मेरा, जानता हूँ,

इन्द्रधनुषी किरदार मेरा, जानता हूँ,

नफ़रत प्यार ग़ुस्सा, रार ठानता हूँ।
दुष्ट संग दुष्टता ज़रूरी, सीखा यहाँ,
इश्क़ को जीवन का लक्ष्य, मानता हूँ।


इश्क़ हो माशूक़ से, आशिक़ों की ख्वाहिश रही,
इश्क़ हो भगवान से, ज्ञानियों की ख्वाहिश रही।
कुछ भटकते जिस्म की चाह, नाम इश्क़ का लिये,
इश्क़ हो राष्ट्र से, देश भक्तों की ख्वाहिश रही।


इश्क़ तो इबादत है, इश्क़ गर सच्चा रहे,
सूरत से इतर इश्क़, सीरत का दर्पण रहे।
इश्क़ की ख्वाहिश सदा, माशूक की ख़ुशी,
इश्क़ चाहे जिससे भी, बस उसे अर्पण रहे।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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