जब नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति की उपेक्षा कर संविधान की मूल प्रति पर पहले स्थान पर कर दिए थे अपने हस्ताक्षर
यह एक आश्चर्यजनक संयोग ही था कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जहां तड़क-भड़क का जीवन जीने में विश्वास रखते थे, वहीं देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद पूर्णतया सादगी से रहना पसंद करते थे। नेहरू जी पर विदेशी संस्कृति का प्रभाव था, जबकि डॉ राजेंद्र प्रसाद भारतीयता की प्रतिमूर्ति थे। यद्यपि यह भी एक सच्चाई है कि डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ कांग्रेस का बहुमत था अर्थात उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति बनाने के लिए कांग्रेस की सर्वानुमति प्राप्त थी। जबकि पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ देश के तत्कालीन 15 राज्यों में से कुल 12 राज्यों की कांग्रेस कार्यकारिणी ही उन्हें देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती थीं।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू नहीं चाहते थे कि देश का पहला राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को बनाया जाए। देश के पहले राष्ट्रपति को भी वह अपनी तरह का ऐश्वर्य पूर्ण जीवन जीने वाले व्यक्ति के रूप में देखना चाहते थे, परंतु कांग्रेस के सर्वसम्मत निर्णय के चलते और संविधान सभा के लोगों की सर्वानुमति प्राप्त होने पर डॉ राजेंद्र प्रसाद को देश का पहला राष्ट्रपति बना दिया गया, तब नेहरू जी मन मसोसकर रह गए थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू किस प्रकार देश के सर्वमान्य राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की उपेक्षा किया करते थे ? इसका एक उदाहरण मुझे अभी हाल ही में मेरी संपन्न हुई सासाराम बिहार की यात्रा के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट की लेफ्टिनेंट बिहार की राजधानी पटना में रह रहीं स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती आशा सहाय चौधरी के सुपुत्र श्री संजय चौधरी जी ने बताया। उन्होंने बताया कि जब देश का संविधान बनकर तैयार हुआ तो उसे सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिखाया गया। जिस पर हस्ताक्षर की क्रमांक संख्या 1,2 व 3 लिखी हुई थी। स्वाभाविक है कि देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले चुके डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान की उस मूल प्रति पर सर्वप्रथम हस्ताक्षर करने चाहिए थे। परंतु नेहरू ने अपने आप को सर्वोपरि दिखाने की भावना से प्रेरित होकर पहले स्थान पर अपने हस्ताक्षर कर दिए श्री संजय चौधरी ने मुझे बताया कि मूल प्रति को देखने से आज भी यह स्पष्ट हो जाता है कि जहां प्रधानमंत्री ने अपने हस्ताक्षर किए हैं, वह क्रमांक संख्या 01 है । जब संविधान की मूल प्रति को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के पास ले जाया गया और उनसे हस्ताक्षर करने के लिए अनुरोध किया गया तो वह पंडित जवाहरलाल नेहरू के कारनामे को देखकर दंग रह गए थे। उन्हें यह तो भली प्रकार ज्ञात था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू उनसे ईर्ष्या रखते हैं, परंतु पंडित नेहरू ऐसी गलती भी कर सकते हैं ? यह शायद उन्हें अपेक्षा नहीं थी। इसके उपरांत उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू के हस्ताक्षरों के ऊपर अपने हस्ताक्षर किए।
डॉ राकेश कुमार आर्य
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