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क्या सोचते हो

क्या सोचते हो

मेरे दिल कि सरहद को,
पार न करना I
नाजुक है दिल मेरा,
वार न करना I
खुद से बढ़कर भरोसा है,
मुझे तुम पर I
इस भरोसे को तुम,
बेकार न करना।।


दूरियों की ना परवाह कीजिये I
दिल जब भी पुकारे बुला लीजिये I
कहीं दूर नहीं हैं हम आपसे I
बस पलकों को बंद कर लीजिये lI


दिलमें हो आप तो कोई,
और ख़ास कैसे होगा ?
यादों में आपके सिवा,
कोई पास कैसे होगा ?
हिचकियां कहती है
आप याद करते हो…I
पर बोलोगे नहीं तो हमें
अहसास कैसे होगा ?


आरज़ू होनी चाहिए
किसी को याद करने की……!
लम्हें तो अपने आप ही
मिल जाते हैं I
कौन पूछता है पिंजरे में
बंद पंछियों को I
याद वही आते है
जो उड़ जाते है…!!


जय जिनेंद्रसंजय जैन "बीना" मुंबई
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