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अभिमान है स्वाभिमान है ,

अभिमान है स्वाभिमान है ,

परिवार टोला समाज का ।
माता पिता गुरु व शिक्षक ,
राष्ट्रीय संस्कृति रिवाज का ।।
हाॅं अभिमान हमें दिल से है ,
गंगा के देश का देवों के वेश का ।
परिचय विशेष राष्ट्रीय परिवेश का ,
शारदा लक्ष्मी गणेश महेश का ।।
अभिमान नहीं हमें ये गर्व है ,
गर्व ही हमारा मुख्य ये पर्व है ।
जीवों का जो कर दे कल्याण ,
वही जीवन हेतु हमारा सर्व है ।।
मातृभक्ति पितृभक्ति राष्ट्रभक्ति ,
भगिनी पुत्री भक्ति भी महान है ।
प्रधान मुख्य समर्पित राष्ट्रभक्ति पे ,
प्रधान मुख्य भारत के मान हैं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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