ये जो मोहब्बत है
ये जो मोहब्बत है इश्क है दीवानगी है।प्यार का एहसास है श्रृंगार सादगी है।
कुदरत का करिश्मा है दिलों का रिश्ता।
धड़कनों का सुर है आहिस्ता आहिस्ता।
चेहरे का निखार भी रूप का श्रृंगार भी।
अधरों की मुस्कान सुंदर सुमनहार भी।
ये जो मोहब्बत दो दिलों का तराना है।
खुशबू प्रेम की प्रीत भरा अफसाना है।
महकता समां खिलता फूल गुलाब सा।
रूठना मनाना हंसना रुतबा नवाब सा।
दिलों में उमड़ती रसधार बहती प्रेम की।
आंखों में इंतजार है जंग हार जीत की।
ये जो मोहब्बत कोई पागल दीवाना है।
बरसती वफा है कोई मौसम सुहाना है।
उनके घर के सामने मेरा आना जाना है।
देखता काली घटाएं मधुर मुस्कुराना है।
नजरों का खेल दिलों की सुहानी बातें।
रंगीन नजारा हो दिलों में वो उतर जाते।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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