भाई बहन का प्यार
भाई बहन का प्यार ,है सृष्टि का ये शृंगार ,
मातृपितृ का आधार ,
प्राकृत पावन बयार ।
पावन गंगा सा धार ,
मनुज मनु का आचार ,
मातृपितृ का संस्कार ,
मातपिता का दुलार ।
जन जन हो समझदार ,
पावन हो जाए संसार ,
नहीं हो कहीं मजधार ,
न उपजे मन में विकार ।
हो सभ्यता शिष्टाचार ,
न होगा कहीं अनाचार ,
शीश उपजे सुविचार ,
न होगा रिश्ता लाचार ।
तब बंधुत्व है साकार ,
संभव नहीं कदाचार ,
ये प्रकृति पर उपकार ,
सार्थक भाई बहन प्यार ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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