Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

प्यार है दुश्वारप्यार है दुश्वार

प्यार है दुश्वार

युवावस्था की दहलीज पर मैंने जैसे ही कदम रखा,
छुईमुई सी परी ने मुझे अजीब सी नजरों से देखा ।
उसकी कयामत भरी नजरों ने मुझे इस कदर डंसा,
उसकी नादानियों को देखकर मैं मन ही मन हंसा।

उसने कातिल नजरों का वार अनवरत जारी रखा,
तब मैंने भी थोड़ा मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा।
नजरों से पास आने का जब उसने किया इशारा,
तब मैंने भी नजरों से ही उसे दिया जबाव करारा।

फिर क्या था वह आहिस्ता-आहिस्ता मेरी ओर बढ़ी,
लोक लज्जा को त्याग वह आकर मेरे कदमों में पड़ी।
बड़े प्यार से उसके बांहों को पकड़ उसे उठाया मैंने,
खानदान की इज्जत का वास्ता दे उसे समझाया मैंने।

प्यार की अंधभक्ति में इस कदर जकड़ गई थी,
खुशहाल सी जिंदगी पलभर में बिखर गई थी।
प्यार करने की जिद्द मत कर ऐ गुलबदन हसीना,
वरना जिंदगी में छा जाएगी गमों का पसीना।

सुरेन्द्र कुमार रंजन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ