विद्या की माता शारदे
वो ज्ञान की माता हैसरस्वती नाम है उनका-२।
वो विद्या की माता है।
शारदा माता नाम उनका।
वो ज्ञान की माता है।।
हाय रे मनका पागलपन
मुझ से लिखवाता है।
क्या मुझे लिखना
क्या वो लिखवता
ये तो वो ही जाने-२।
मन में मेरे वो आकर
लिखवाते है मुझसे।।
वो ज्ञान की माता है..।।
इधर जिंदगी झूम रही है
उधर मौत खड़ी।
कोई क्या जाने कब आ जाये
मेरा बुलावा जी-२।
और क्या लिखना
मुझको रह गया है अब बाकी।
वो ज्ञान की माता है...।।
मेरे दिल और ध्यान में सदा
रहती है माता जी।
जो कुछ भी मैं लिखता और गाता
उनके कृपा दृष्टि से-२।
मैं उनके चरणो में
वंदन बराम्बार करता।
वो ज्ञान की माता है..।।
बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में मेरी रचना आप सभी के लिए प्रस्तुत है।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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