बदल गया वह दौर पुराना, सच्चे आशिक मिलते थे,
इश्क़ किया जिसने जिससे, उसकी खातिर जीते थे।बिछुड गये गर किसी वजह, यादों में ज़िंदा रहते थे,
एक झलक पाने को उसकी, वर्षों वर्ष राह तकते थे।
मात पिता भी उस दौर में, अच्छा साथी ढूँढा करते थे,
संस्कारों का सार हो जिसमें, परिवार ढूँढा करते थे।
धन दौलत का महत्व नहीं, रिश्तों का था मोल घना,
जीवन साथी समझदार हो, बस ऐसा ही ढूँढा करते थे।
नये दौर में बदल गये हैं, अच्छों की पहचान तरीक़े,
धन दौलत से पहचान बने, अपनाओ कोई तरीक़े।
बंगला गाड़ी धन दौलत, सफलता के मापदंड बने,
बेईमानी भ्रष्टाचार तस्करी, अमीरों के कई तरीक़े।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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