शास्त्रनिष्ठ
सुशील कुमार मिश्रक्या सचमुच हैं हम शास्त्रनिष्ठ? या बन गए हैं हम व्यक्तिनिष्ठ।
थे पूर्वज ऋषि मुनि शास्त्रनिष्ठ, थे राम कृष्ण भी शास्त्रनिष्ठ।
यह प्रकृति भी है शास्त्रनिष्ठ, फिर हम क्यों बन रहे व्यक्तिनिष्ठ?
वेदों व पुराणों में वर्णित ,सब महापुरुष थे शास्त्रनिष्ठ
फिर हम भी इन्हीं के अनुयाई ,क्यों बन जाते हैं व्यक्तिनिष्ठ?
कोई कुछ भी कह देता है ,क्यों मान हम सभी लेते हैं?
पढ़ करके देखें शास्त्र स्वयं ,अनजान भला क्यों रहते हैं?
कहता है शास्त्र कुछ और कोई, कुछ और ही अर्थ बताते हैं।
हम भेड़ चाल चलकर कहिए, क्यों पीछे पीछे चलते हैं।
हैं आंख कान मस्तिष्क पास , स्वयं पढ़कर क्यों न समझते हैं।
कोई बाबा हों महाबाबा हों , हैं शास्त्र से बढ़कर कोई नहीं।
कहते हैं जो हमें वेद शास्त्र, मानेंगे बस उसको ही सही।
स्वरचित रचना
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