अनुशासन बोधिसत्व है ,
अनुशासन ही नरत्व है ,जीवन ही उसका तत्व है ,
जीवन में अनुशासन का महत्व है ।
जीवन नहीं व्यवसाय है ,
न ही जीवन कोई आय है ,
अनुशासन जीवन समृद्धि ,
अनुशासन जीवन का अभिप्राय है ।
जीवन में जैसे होता अनर्थ है ,
अनुशासन बिन जीवन व्यर्थ है ,
पूच्छविहीन जैसे हो जाए पशु ,
अनुशासन बिन मानव का क्या अर्थ है ।
अनुशासन भरे जीवन में रंग ,
अनुशासन बिन जीवन भी तंग ,
अनुशासन संग जीवन है जीता ,
दुनिया देखकर होती है दंग ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।
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