सरस्वती के मन्दिर में आकर, शिक्षा का गुणगान करें,
हर बालक शिक्षित हो जाये, ऐसा हम अभियान करें।करें वन्दना माँ शारदा तेरी, हमको तुम आशीष दो,
भारत बने फिर विश्व गुरू, जिस पर सब अभिमान करें।
संस्कार और संस्कृति के, बीज जगत में रोपें हम,
मर्यादाओं का पालन सीखें, बुजूर्गों का सम्मान करें।
शस्त्र, शास्त्र की शिक्षा सीखें, अन्तरिक्ष की सैर भी,
सप्तलोक के रहस्य खोलें, नित नव अनुसंधान करें।
भू- गगन- वायू, अग्नि-नीर, पंच तत्व प्रधान यहाँ,
पर्यावरण और योग साधना, सबको हम भगवान करें।
वसुधैव कुटुम्ब का सपना, भारत की अपनी थाती,
रज रज में- जन जन में माँ, तेरा ही 'कीर्ति' ध्यान करें।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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