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जिंदगी तुम हो

जिंदगी तुम हो

जिंदगी अब तो तुम्हारी हो गई। 
जीने मरने की कहानी बन गई। 
अब प्यार दो या कुछ और दो। 
जो भी दोगी वो कहानी बनेगी।। 

सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो। 
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो। 
दूर रहकर भी तुम मुझको देखते हो। 
सच कहे तो मेरी जिंदगी भी तुम हो।। 

हजारों फूल देखे हैं गुलशन में मगर। 
खुशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो। 
दूर-दूर से आते है यहाँ देखने तुम्हें।
वो कौनसी खुशबू है जो महकती है।। 

बहुत मिले सफर में मुसाफिर हमें। 
पर हमसफर तो तुम ही मिले हो। 
इसलिए मंजिलों को छु पा रहा हूँ। 
और इसके लिए तुम्हारा आभारी हूँ।। 

जय जिनेंद्र 

संजय जैन "बीना" मुंबई
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