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क्या हम विकासशील देश हैं अथवा विकसित देश

क्या हम विकासशील देश हैं अथवा विकसित देश

विकसित देशों का पैमाना बस अर्थ को माना है,
विकसित भारत का पैमाना, मानवता को माना है।
अध्यात्म की गहराई तक, कौन राष्ट्र पहुँच पाया,
ज्ञान विज्ञान इतिहास पुराना, ब्रह्मांड को जाना है।
ज़ीरो का किया निरूपण, किसने कालखंड को नापा,
पत्थर की पहचान की किसने, सागर को जिससे ढाँपा है।
वेद ऋचाओं मंत्रों से किसने, त्रिशंकु को स्वर्ग दिखाया,
पंच महाभूत मिलाकर, किसने भगवान बनाया है।
किसने अपने अनुसंधानों से, तुलसी पीपल को जाना,
प्रकृति के हर रज कण को, किसने ईश्वर सा माना है।
यह भारत है हम भारतवासी, हम सनातन के अनुयायी,
सृष्टि के सृजन से हमने, मानवता हित अलख जगाई है।
हम सदा सदा से विकसित, है अध्यात्म अपना आधार,
अध्यात्म नहीं जिस राष्ट्र मे, अर्थ वहाँ सब निराधार है।
विश्व बन्धुत्व की बात करें हम, सर्वे सन्तु निरामया,
कर्म करें निःस्वार्थ भाव से, गीता ने संदेश दिया है।
उदारमना अपनी नीति, बुराइयों से लड़ना सीखा,
सब धर्मों को आदर देना, सनातन ही शिक्षा देता है।
हैं भरत से वीर यहाँ, जो शेरों के दाँत गिना करते,
रणक्षेत्र में शिवा लक्ष्मी, दुश्मन को मात दिया करते हैं।
सप्तलोक के गूढ़ रहस्य, किसने आज तलक खोले,
नारद जैसे ऋषि मुनि, पैदल जहाँ तलक डोल रहे हैं।
कितनी उपलब्धि गिनवायें, किस किस की बात करें,
निज स्वार्थ में अपने ही, संस्कृति पर आघात करें हैं।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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