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थाम लिया..

थाम लिया..

लोग मिलते रहे और हम चलते रहे।
पर साथ चलने को तुम्हीं मिले हो।
इसलिए मेरी हिम्मत बढ़ती गई।
क्योंकि मुझे सभंलने वाली तुम हो।।


आते जाते रहे मिलने मिलाने को
पर अपना बनकर तुम्हीं आये हो।
लोगों ने तो उपयोग ही किया है।
पर तुमने दिलसे साथ दिया है।।


उथल पुथल मचा हुआ था।
जब मेरी इस जिंदगी में।
तो तुमने थमा लिया था।
उस समय आकर हाथ मेरा।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई


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