अर्थ अमित अरु आखर थोरे : कतिपय शब्दों की परिभाषाएं
आचार्य राधामोहन मिश्र माधवईश्वर --जो ब्रह्माण्ड का स्रष्टा, संहारक तथा नियामक है और सर्वव्याप्त है पर अदृश्य है।
सत्य --जो यथार्थ हो, सदा समान रहे।
त्रैकालिक सत्य-- जो तीनों कालों में एकरूप रहे।
धर्म-- प्राणी या पदार्थ द्वारा नैसर्गिक रूप से धारित सृष्टिपोषक एवं कल्याणकारी गुण।
धार्मिक -- जो सह- अस्तित्व का भाव रखते हुए ईश्वरीय सृष्टि में आस्था रखता है।
अधार्मिक -- जो ईश्वरीय सृष्टि में आस्थाहीन है।
पुण्य -- सृष्टि के हित और कल्याण के लिए किया जाने वाला धर्म सम्मत कार्य।
पाप-- सृष्टि के अहित और विनाश के लिए किया जाने वाला अधार्मिक कार्य।
अहिंसा - मन, वचन और कर्म से किसी को दुख-कष्ट नहीं देना।
ज्ञानी-- जो आध्यात्मिक, सांसारिक समदृष्टि रखता है।
आध्यात्मिक --जो आत्मा की उन्नति में रुचि और चेष्टा रखता है।
संसारी --जो भौतिक पदार्थों की लालसा करता है।
आस्तिक -- जो व्यक्ति ईश्वर में विश्वास रखता है।
नास्तिक --जो ईश्वर में विश्वास नहीं रखता।
उदासीन-- धर्म और अधर्म से परे रहने वाला (कबीरदास जी)
तटस्थ -- किसी पक्ष की ओर झुकाव न रखने वाला।
सामाजिक --जो व्यक्तियों की संगति करने में रुचि रखता है।
मानवीय -- जो मनुष्य मात्र में रुचि रखता है।
व्यावहारिक -- जो पारस्परिक उचित व्यवहार में रुचि रखता है।
व्यावसायिक --जो अर्थ/मुद्रा को तरजीह देता है।
राजनीतिक --जो आदमी पर विश्वास धारण नहीं करता।
कूटनीतिक --जो एक दूसरे में स्वाभाविक फूट डालता है।
दुष्कूटनीतिक-- जो परस्पर अस्वाभाविक फूट डालता है, एक दूसरे को तोड़ता, अलग-थलग करता है।
विद्वान -- जो कोई विचार बनाना जानता है।
पंडित -- जो किसी विचार को मेलित करने की कला जानता है।
कोविद-- जो सूक्ष्म लौकिक -अलौकिक ज्ञान मंडित है।
कलाकार --जो किसी विद्या का सैद्धांतिक प्रयोग, उपयोग करता है।
वैज्ञानिक --जो भौतिक विद्या के सिद्धांत जानता है और व्यावहारिक प्रयोग करता है।
कवि --जो भाव-संवेदना को कलापूर्ण ढंग से प्रकट करता है।
साहित्यकार --जो समाज के मर्म को समग्रता में समझता है, समाज को कल्याणकारी दृष्टि से बराबरी का साझीदार समझता है और जो उसके हितार्थ सारस्वत साधना करता है।
साहित्यिक --जो साहित्य में रुचि रखता है।
संत--जो अपेक्षाकृत अधिक अभौतिकता में रमण करता है।
साधु--जो सरल स्वभाव का हो।
योगी--जो परमात्मा से ऐक्य स्थापना का साधक है।
देवता -- जिसमें दिव्यता एवं चमत्कार है।
लेखक --आचार्य राधामोहन मिश्र माधव
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