जहाँ देखीं बेसी लोग के,
चिकन मीठा बात बा।शक्ल देखके बुझात नइखे,
केतना भीतरघात बा ।।
मतलब से मिलत बा लोग,
चाम देह के छिलत बा लोग।
मतलब पुरा होते हीं,
केहू ना धरात बा।।
शक्ल देखके बुझात नइखे,
केतना भीतरघात बा।।
उठल अब विश्वास जाता,
केकरा से राखलजाव नाता।
आपन बिराना सबके देख,
भरोसा के नैया डगमगात बा।।
शक्ल देखके बुझात नइखे,
केतना भीतरघात बा।।
जय प्रकाश कुवंर
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