इंसान जोकर है
जिंदगी हर किसी कीएक जोकर जैसी है।
जो कभी हंसती है तो
कभी लोगों को हंसती है।
पर जोकर के दर्द को
समझ नही पाती है।
उसे देखकर सब हँसते है
पर दर्द उसका बढ़ाते है।।
खूब-सूरत होते हुए भी
बद-सूरत होने को मजबूर हूँ।
दिल की आकृति दिखता
पर दिलो से बहुत दूर रहता।
अंदर से हँस रहा हूँ पर
बाहर से रोते हुए दिखा रहा हूँ।
यही तो मानव जोकर की
बहुत बड़ी विशेषता है।।
शो है ये हमारी जिंदगी का
जो कुछ ही वर्षो का है।
जिस में न जाने कितने किरदार
अपने जीवन में निभाना है।
कितनो से हमें आँखे मिलना है
और कितनो से आँखे चुराना है।
पर सच में इंसान की भूमिका को
एक जोकर बनकर दिखाना है।।
पेट के लिए क्या कुछ नही करता
भूखे रहने से अच्छा है जोकर बनना।
कुछ तो पापी पेट को मिलेगा
और इंसान शरीर से जिंदा रहेगा।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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