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छत्रपति वीर शिवाजी

छत्रपति वीर शिवाजी

हिंदवी स्वराज सितारे पराक्रमी परम प्रतापी।
छत्रपति वीर शिवाजी शौर्यता से सेनाएं कांपी।

दुर्ग गढ़ किले जीते हर हिंदुस्तानी ये दिल जीता।
सनातन संस्कृति पोषक समर विजयी वो जीता।

हिंदू सिरमौर हुए सुरमां मुगलों से टक्कर लेते।
स्वाभिमानी भाल ऊंचा हर चालों का उत्तर देते।

युद्ध कला निपुण प्रहरी तलवारों का जोश खरा।
हर-हर महादेव का नारा जयहिंद जय घोष भरा।

जड़ें हिला दी मुगुल शासन की भारती लाल ने।
केसरिया ध्वज फहराया रक्षक बन प्रतिपाल ने।

अफजल खां धूर्त था घाट मौत के पहुंचा दिया।
कर्मठ योद्धा शौर्य डंका विश्व क्षितिज को किया।

समर्थ गुरु रामदास सेवक शिवाजी छत्रपति वीर।
तुलजा भवानी के दास महान अधिपति रणधीर।

हिंदू हृदय सम्राट मराठा गौरव के हे महानायक।
वीरता के कीर्तिमान रच विजय श्री अधिनायक।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान 
रचना स्वरचित व मौलिक है
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