देवों के देव महादेव
कालों के काल महाकाल, शिव भोला भंडारी।देवों के देव महादेव, शिव तांडव सबसे भारी।
महा भयंकर त्रिपुरारी, प्रियंकर शंभू गंगधारी।
औघड़ दानी वरदानी, कैलाशपति जटाधारी।
गले लपेट सर्पोंं की माला, ओढ़े है मृगछाला।
बाघाम्बरधारी विश्वनाथ, भोलेनाथ मतवाला।
शशिशेखर डमरूधर, त्रिशूलधारी शिव भोले।
अंग भस्म भंग चढ़े देव, भूत प्रेत संग में डोले।
यक्ष रक्ष भैरव मनावें, सकल चराचर ध्यावे।
करें सवारी बैल की, शिव नीलकंठ कहलावे।
हर हर महादेव भोले, सत्यम शिवम सुंदरम।
आस्था दीप जले घट में, लहराए ध्वजा धर्म।
मंदिर में शिवालय, ओमकार गूंजे दिन-रात।
भरते भंडार दानी, हृदय हर्ष की हो बरसात।
भक्तों के प्रतिपालक भोले, संकट हरते सारे।
भाग्य सितारा दमके, मिटे सारे कष्ट अंधियारे।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित्र मौलिक है
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