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कोई तो अपना होगा

कोई तो अपना होगा

भीड़ भरी इस दुनिया में कोई तो अपना होगा।
सुख का सूरज निकलेगा पूरा हर सपना होगा।
ढूंढ रहा हूं उन आंखों को अपनापन से भरी हुई।
प्यार लुटाती इस हस्ती को देख तमन्ना हरी हुई।

जीवन की राह बताकर खुशियों के दीप जलाए।
बुलंदियों के आसमान में मुस्कानों के मोती पायें।
समझ सके मन की बातें दिल का दर्द जाने जो।
कोई तो अपना होगा सारे संसार में पहचाने वो।

मधुर तराने बोल मीठे बरसे स्नेह सुधा रसधार।
दिल के कोने में बसी प्यारी सूरत उनका प्यार।
दस्तक देने वाले राही धड़कन तक रुकना होगा।
दसों दिशाओं कहो तुम्ही कोई तो अपना होगा।

अपनापन सोंधी सौरभ महके पुष्प फुलवारी।
बहती रहे प्रेम गंगा खिल जाए पुष्पित क्यारी।
भव सिंधु में राम मिलेंगे राम नाम जपना होगा।
श्रद्धा और विश्वास जहां कोई तो अपना होगा।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
 रचना स्वरचित व मौलिक है
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