बिहार बजट 2025-26: वादों का जाल, हकीकत से कोसों दूर : प्रेम कुमार !

पटना: प्रेम यूथ फाउंडेशन ने आज बिहार बजट 20 25 के पेश होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया जिसमें गांधीवादी प्रेम कुमार जी ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा प्रस्तुत वित्तीय वर्ष 2025-26 का ₹3.17 लाख करोड़ का बजट जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाता। सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, बुनियादी ढांचे, महिला सशक्तिकरण और औद्योगिक विकास के बड़े-बड़े वादे किए हैं, लेकिन पिछले बजटों की तरह इस बार भी योजनाओं का ज़मीनी क्रियान्वयन संदिग्ध है।
मुख्य आलोचनात्मक बिंदु पर विचार करते हुए गांधीवादी प्रेम कुमार जी ने कहा कि शिक्षा में सुधार का दावा, लेकिन शिक्षकों की भारी कमी एक विरोधावाद है ,सरकार ने शिक्षा के लिए ₹60,964 करोड़ का बजट रखा है, लेकिन राज्य में आज भी लाखों शिक्षकों की कमी बनी हुई है तथा सरकारी स्कूलों की हालत बदतर है, शिक्षकों को नियमित वेतन नहीं मिल रहा, और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केवल कागजों पर सीमित रह गई है।
स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के दावे पर सवाल के दावे पर गांधीवादी कुमार ने कहा कि ₹20,335 करोड़ का बजट आवंटित होने के बावजूद, बिहार में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और आवश्यक दवाओं की कमी बनी हुई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत जर्जर है और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं आज भी उपेक्षित हैं।
किसान हितैषी बजट या सिर्फ चुनावी वादे ? की बात करते हुए गांधीवादी प्रेम कुमार ने कहा कि सरकार ने किसानों को अरहर और मूंग की खरीद MSP पर करने का वादा किया है, लेकिन अतीत में भी ऐसे वादे अधूरे रहे। कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए ₹1,289 करोड़ का प्रावधान नाकाफी है, जबकि बिहार का अधिकांश हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
बुनियादी ढांचे में सुधार के खोखले दावे पर गांधीवादी प्रेम कुमार ने कहा कि सरकार ने 7 नए हवाई अड्डे बनाने की बात कही है, जबकि राज्य के कई जिलों में अब तक सड़क और रेल संपर्क भी ठीक से विकसित नहीं हुआ है। 2027 तक राज्य के किसी भी जिले से पटना 4 घंटे में पहुंचने का वादा अव्यवहारिक लगता है, क्योंकि कई सड़कों की हालत दयनीय है और पिछली परियोजनाएं अभी भी अधूरी हैं।
श्री कुमार ने महिला सशक्तिकरण केवल दिखावे के लिए है, महिला सिपाहियों के लिए आवास सुविधाएं देने की घोषणा स्वागत योग्य है, लेकिन महिला सुरक्षा की बुनियादी समस्याओं पर कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई।
महिलाओं के लिए रोजगार और उद्यमिता के दावे हकीकत में जमीन पर नहीं उतरते।
श्री कुमार ने कहा कि औद्योगिक विकास और रोजगार पर कोई ठोस रणनीति नहीं है ! बिहार में निवेश आकर्षित करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है, जिससे बेरोजगारी की समस्या बनी रहेगी।
ऊर्जा क्षेत्र के लिए ₹13,484 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है, लेकिन बिजली संकट और ट्रांसमिशन की समस्याओं पर कोई ठोस रोडमैप नहीं दिया गया।
अंत में प्रेम जी ने बिहार सरकार की विफलता का बजट बताया और कहा कि यह बजट लोकलुभावन घोषणाओं से भरा हुआ है, लेकिन इसमें कोई ठोस नीति या कार्ययोजना नहीं दिखती जिससे बिहार की आम जनता को वास्तविक लाभ मिल सके। पिछले वर्षों के बजटों की तरह, यह भी सिर्फ कागजी वादों का पुलिंदा साबित हो सकता है।
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