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श्री विट्ठल रुख्माई संस्थान, रेवसा की 30 करोड़ की जमीन फिर से देवस्थान के नाम होगी|

श्री विट्ठल रुख्माई संस्थान, रेवसा की 30 करोड़ की जमीन फिर से देवस्थान के नाम होगी|

  • महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की पहल से मिली ऐतिहासिक जीत
श्री विट्ठल रुख्माई संस्थान, रेवसा (ता. जि. अमरावती) के स्वामित्व वाली 30 करोड़ रुपये मूल्य की बहुमूल्य कृषि भूमि अंततः फिर से देवस्थान के नाम पर दर्ज की जाएगी। मंदिर महासंघ के प्रभावी प्रयासों से यह ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है। राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से हड़पी गई इस जमीन की पुनः प्राप्ति से भक्तों में संतोष का माहौल है।

इस ऐतिहासिक जीत को लेकर आयोजित पत्रकार सम्मेलन में मंदिर महासंघ के राज्य पदाधिकारी अनुप प्रमोद जयस्वाल ने जानकारी दी। इस अवसर पर महासंघ के जिला संयोजक विनीत पाखोडे, हिंदू जनजागृति समिति के जिला समन्वयक निलेश टवलारे, अधिवक्ता अभिजीत बजाज, संस्थान के ट्रस्टी राजेंद्र वाकोडे और हरीभाऊ वाकोडे, हरिदास नानवटकर, समिति के सचिन वैद्य उपस्थित थे।

भ्रष्टाचार का पर्दाफाश – IAS अधिकारी ने दिया था सख्त निर्णय

मौजा रेवसा स्थित गट क्र. 165, क्षेत्रफल 3 हेक्टेयर 69 आर की कृषि भूमि श्री विट्ठल रुख्माई संस्थान की स्वामित्व वाली है। लेकिन इस जमीन को हड़पने के उद्देश्य से प्रदीप त्र्यंबकराव वाकोडे और प्रवीण त्र्यंबकराव वाकोडे ने तत्कालीन तहसीलदार संतोष काकडे के समक्ष आवेदन देकर 7/12 उतारे से संस्थान का नाम हटाकर अपने नाम पर दर्ज करने की मांग की।

09 मई 2022 को तहसीलदार काकडे ने राजस्व कानून की धाराओं का उल्लंघन करते हुए 7/12 दस्तावेज से संस्थान का नाम हटा दिया और वाकोडे बंधुओं के नाम पर अवैध रूप से दर्ज कर दिया।

इस आदेश के खिलाफ राजेंद्र पद्माकर वाकोडे ने उपविभागीय अधिकारी, अमरावती के समक्ष अपील दायर की। इस अपील में वाकोडे बंधुओं और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा हुआ। तहसीलदार काकडे का आदेश वित्तीय लाभ के उद्देश्य से पारित किया गया था, यह स्पष्ट करने के बाद IAS अधिकारी रिचर्ड यंथन ने 01 अगस्त 2023 को तहसीलदार काकडे का आदेश रद्द कर दिया।

देवस्थान की कृषि भूमि में हो रही गड़बड़ियों को रोकने और भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए राज्य में एंटी लैंड ग्रैबिंग कानून की आवश्यकता है, इस हेतु मंदिर महासंघ ने राज्य सरकार से मांग की है।

मंदिर महासंघ का प्रयास - देवस्थान की भूमि स्वामित्व को सुरक्षा


IAS अधिकारी रिचर्ड यंथन के इस आदेश ने राजस्व विभाग के लिए मुश्किल स्थिति पैदा कर दी। उपविभागीय अधिकारी के आदेश पर दायर अपील में अतिरिक्त जिलाधिकारी, अमरावती ने मामले की गहराई से जांच कर तहसीलदार को पुनः सुनवाई के निर्देश दिए।


मंदिर महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत देवस्थान के हित में तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। इस निरंतर प्रयास को सफलता मिली और तहसीलदार विजय लोखंडे ने 20 मार्च 2025 को सावधानीपूर्वक निर्णय लेते हुए संस्थान के पक्ष में अंतिम आदेश दिया।

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