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मेरे बिखरते अल्फाज

मेरे बिखरते अल्फाज


महका देंगे महफिल को मेरे बिखरते अल्फाज।
यह शब्दों का जादू है प्यारे होगा तुमको नाज।


मन की पीर कह दूं या भावों की बहती रसधार।
उमड़ती प्रीत की धारा दिलों में बरसता है प्यार।
सुमनहार सजाकर मैं वंदन अभिनंदन करता हूं।
आराधना वाणी की थाल केसर चंदन धरता हूं।


खुशियों के सजल लफ्जों की लिए पुष्प माला।
खड़ा दरबार शारदे मात तेरा भक्त हूं मतवाला।
सुर की देवी शब्दों को मोती माणक वाणी कर दे।
गीतों के तरानों में माते सुरीला ओज स्वर भर दे।


मेरे बिखरते अल्फाज परचम व्योम गगन पाएं।
नभ तलक आवाज धड़कने सब राग बन जाए।
शब्द सुधारस धारा बहती रहे हृदय आंगन में।
वरदायनी हंसवाहिनी खुशियां भर दो दमन में।


रमाकांत सोनी सुदर्शन


नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान

रचना स्वरचित व मौलिक है


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