होलिका दहन की रात की विशेष साधना
लेखक:रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन।ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ।
हर हर महादेव!!
श्री दुर्गा सप्तशती में चार रात्रियों का महत्व बताया गया है *कालरात्रि महारात्रि मोहरात्रिश्च दारुणा।*
इन चार रात्रियों में रात भर जागरण करके मंत्र जाप करके मंत्रों को सिद्ध करने का विधान है। जिससे जीवन में सुखद परिवर्तन आता है। समस्त पीड़ाएं नष्ट हो जाती हैं।
महाशिवरात्रि की रात को महारात्रि कहा जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की रात को मोह रात्रि कहा जाता है। दीपावली की रात्रि को कालरात्रि कहा जाता है।
होलिका दहन की रात्रि को दारुण रात्रि कहा जाता है।
इन सभी विशेष रात्रियों में निशीथ काल का बड़ा ही महत्व है। कहा जाता है कि भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग निशीथ काल में प्रकट हुआ था। अतः रात्रि के समय निशीथ काल में की गई पूजा शीघ्र ही सिद्ध हो जाती है और उसका पूर्ण शुभ फल प्राप्त होता है।
निशीथ बेला का समय उत्तर भारत में और दक्षिण भारत में थोड़ा भिन्न होता है।
उदाहरण के लिए आज 13 मार्च 2025 गुरुवार होलिका दहन के दिन उत्तर भारत में निशीथ काल का समय होगा रात्रि 11:30 बजे से 12:30 के बीच।
जबकि दक्षिण भारत में निशीथ काल का समय होगा रात्रि 12:24 से रात्रि 1:12 मिनट।
गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और चेन्नई दक्षिण भारतीय प्रांत हैं।
आज होलिका दहन की रात अर्थात् दारूण रात्रि में निशीथ काल में रोग व्याधि और दरिद्रता के नाश के लिए, उत्तम स्वास्थ्य और अपार धन लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विशेष गुप्त मंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इन मंत्रों के 108 बार जाप कर लेने से यह मंत्र सिद्ध हो जाते हैं और इन मंत्रों के प्रभाव से वर्ष पर्यंत धन प्राप्ति होती रहती है। स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है। रात्रि के समय मंत्र जाप उत्तर की तरफ मुंह करके करना चाहिए। ऊपर बताए गए निशीथ काल की बेला में उत्तर की तरफ मुंह करके इन मंत्रों की एक-एक माला जाप कर लें तो इसका चमत्कार पूरे वर्ष तक देखने को मिलेगा।
मंत्र 1.
*ऊं नमो भगवती पदम् पद्मावती ऊं ह्रीं ऊं श्रीं ऊं पूर्वाय दक्षिणाय पश्चिमाय उत्तराय सर्वं दिशि धनं देहि देहि स्वाहा।*
मंत्र 2.
*ऊं ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं ऊं।*भगवान नरसिंह हम सब का कल्याण करें।
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