मस्त मलंग यौवन बहार
प्राण प्रिय मान प्रतिष्ठा,जीवन ज्योति उपमा ।
नयनन पटल नेह वसित,
अंग प्रत्यंग लावण्य रमा ।
रूप श्रृंगार अति कमनीय,
कदम चाह मिलन साकार ।
मस्त मलंग यौवन बहार ।।
चुस्त फ़ुर्त दिनचर्या,
मृगनयनी चाल ढाल ।
मोहक कोमल कपोल,
मादकता अनंत उछाल ।
रग रग सौंदर्य अवतरण,
जन स्वर माधुर्य अपार।
मस्त मलंग यौवन बहार।।
स्नेहिल सौम्य मुखमंडल,
मनोरम लैंगिक स्पंदन ।
काम रति दर्शन अनुपम,
संवाद पटल प्रीत वंदन।
हाव भाव आमंत्रण संकेत,
स्वीकृति पट मुस्कान आधार ।
मस्त मलंग यौवन बहार ।।
सुखद मंगल स्वप्निल प्रभा,
मधुर मृदुल उर अठखेलियां ।
प्रणय भाषा शब्द अर्थ परे,
संसर्गमय अनूप पहेलियां ।
अथाह प्रवाह शौर्य साहस,
हिय हिलोरित तृप्ति धार ।
मस्त मलंग यौवन बहार ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com