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मुगल थर थर कांपते, राणा सांगा के सामने

मुगल थर थर कांपते, राणा सांगा के सामने

रजपूती आन बान शान ,
संग्राम सिंह संग परवान ।
एक सौ युद्ध अंतर विजय श्री,
साहस शौर्य व्यक्तित्व पहचान ।
विदेशी आक्रांता विरुद्ध संघर्ष,
अखंड हिन्दू राष्ट्र छवि निहारने ।
मुगल थर थर कांपते,राणा सांगा के सामने ।।


प्राण पूर्व मेवाड़ी माटी प्रिय,
राष्ट्र स्वाभिमान रक्षा ध्येय ।
अथक प्रयास साम्राज्य विस्तार,
सीधी टक्कर पटल अजेय ।
कदम सदा ऊर्जस्वित अडिग,
हर बाधा सहर्ष स्वीकारने ।
मुगल थर थर कांपते, राणा सांगा के सामने ।।


सूर्य सम ओज अनुपमा,
राष्ट्र भक्ति शिखर प्रचंड ।
मुगली शासन विरोध पुरजोर,
कृतित्व अंतर पराक्रम अखंड।
सैनिक भग्नावेश गौरव पर्याय,
अस्सी घाव सह शत्रु ललकारने ।
मुगल थर थर कांपते,राणा सांगा के सामने ।।


हिन्दूपत वीर शिरोमणि उपमा,
शत्रु विरुद्ध सदा काल रूप ।
भुजबल सह उदार ह्रदय धनी,
हिंदू राष्ट्र प्रणेता भाल अनूप ।
युद्ध कौशल कला अभेद्य,
जीवन समर्पित हिंद छवि संवारने ।
मुगल थर थर कांपते,राणा सांगा के सामने ।।


कुमार महेंद्र


(स्वरचित मौलिक रचना)


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