नारी का सम्मान
युगो युगो से होता रहे हर नारी का सम्मान।नारी नर की खान सदा नारी शक्ति महान।
धैर्य शील धारण करें दो-दो कुल को तारती।
सृजन की मूरत नारी घर परिवार संवारती।
स्नेह की रसधार बहाती प्रेम सुधा बरसाती।
संस्कार संवारे रखती घर में खुशियां लाती।
रूप अनेक नारी तेरे रिश्तो को बांधे रखती।
दया करुणा ममता से कीर्तिमान नया रचती।
हौसलों की भरें उड़ानें मंजिलों का नभ छुए।
बुलंदिया चरणों में तेरे रोशन हो घर के दीए।
अनसूया सीता सावित्री झांसी रानी लक्ष्मीबाई।
विष का प्याला पीकर नाची भक्ति में मीराबाई।
इतिहास रचा नारी ने कमान संभाले रखती।
संघर्षों में चंडी बनकर रण विजय पीर हरती।
जहां-जहां नारी की पूजा नारी का हो गुणगान।
उन्नति शिखर है दमकता राष्ट्र होता शक्तिवान।
रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है।
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