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चमकतो चान महुआ तर, न कहिओ रात में जइहऽ।

चमकतो चान महुआ तर, न कहिओ रात में जइहऽ।

डॉ रामकृष्ण मिश्र
चमकतो चान महुआ तर, न कहिओ रात में जइहऽ।
लगैतो आग हिरदा में न कहिओ रात मेंं जइहऽ।।
इ चनवा सोझ के मन मेंं मचा दे हे बड़ी हलचल।
तोहर सुध बुध हेरा जैसो न कहिओ रात में जइहऽ।।
बसंती चाननी में ंढाक गाते भर गेलो चिनगी।
कही तोरो जो लग जाए न कहिओ रात में ंजइहऽ।।
मतौनी पी हवा चलतो टगित निसवाज के जइसने।
कही अँचरा छुआ गेलो न कहिओ रात में जइहऽ।।
अचीन्हल नेह के रस रोग जखनी बास ले लेतो।
बड़ी अकबक में कर देतो न कहिओ रात में जइहऽ।। १३
**********रामकृष्ण
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