Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

बस यूँ ही

बस यूँ ही

जब खो जाता हूँ
ख्यालों और ख्वाबों में
बचपन से पचपन की
खेलकूद और बातों में
बस यूँ ही
याद आ जाती है
वह नदी
जो भरी रहती थी
शीतल जल से
और
और आज है संघर्ष रत
अपने वजूद को
बचाने के लिये।
हाँ
उसके निशान बाकी हैं
उन पत्थरों पर
जो लगाये गये थे
उसके किनारों पर
तटबंध के रूप में।

अ कीर्तिवर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ