गुण एवं गुनाह का पारितोषिक
पंकज शर्मा
मनुष्य का जीवन उसकी सोच, कर्म एवं चरित्र पर निर्भर करता है। हमारे द्वारा किए गया प्रत्येक कार्य का एक मूल्य होता है—चाहे वह गुण हो अथवा गुनाह। फर्क बस इतना है कि गुण की कीमत हमें सम्मान, प्रेम एवं विश्वास के रूप में मिलती है, जबकि गुनाह की कीमत हमें पछतावे, अपमान एवं दंड के रूप में चुकानी पड़ती है।
जब हम सत्य, ईमानदारी, परोपकार एवं सदाचार का पालन करते हैं, तो समाज हमें श्रद्धा एवं आदर की दृष्टि से देखता है। हमारे गुण न केवल हमें आंतरिक संतोष देते हैं, बल्कि दूसरों के जीवन में भी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। दूसरी ओर, यदि हम लालच, झूठ, अन्याय एवं बुरे कर्मों की राह अपनाते हैं, तो हमें तात्कालिक लाभ तो मिल सकता है, लेकिन अंततः हमें अपने कर्मों का दंड भुगतना पड़ता है।
जीवन में सफलता एवं शांति प्राप्त करने हेतु आवश्यक है कि हम अच्छे गुणों को अपनाएं एवं गुनाहों से बचें। जब हम यह समझ जाते हैं कि अच्छाई की कीमत हमें सम्मान एवं संतोष के रूप में मिलती है, एवं बुराई की कीमत हमें पछतावे एवं कष्ट के रूप में चुकानी पड़ती है, तब हम अपने जीवन में सही दिशा चुन सकते हैं। इसलिए, सदैव सद्गुणों की राह पर चलें, क्योंकि यही सच्चे सुख एवं सफलता की कुंजी है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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