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गहराता साम्प्रदायिक संकट

गहराता साम्प्रदायिक संकट

जय प्रकाश कुंवर
हम सब और भी उलझते जा रहे हैं।
प्रयास करके भी रास्ता नहीं पा रहे हैं।।
जब देखो, जहाँ देखो,
भारतवर्ष में हिन्दू मुस्लिम चर्चा जारी है।
टीभी और समाचार पत्रों से तो लगता है।
जैसे किसी बड़े जंग की तैयारी है।।
वक्फ बोर्ड संपत्ति बड़ा उलझन बन गया है।
इसको लेकर दोनों धर्मों में ठन गया है।।
एक गलती ऐसी हो गई है कुछ नेताओं से।
जिसकी कीमत हम हर रोज चुका रहे हैं।।
झगड़ा तो दो पड़ोसियों में भी होता है।
पर दो धर्मों के झगड़े से घबड़ा रहे हैं।।
साम्प्रदायिकता की चिंगारी रोज भड़कती है।
किसी दिन यह शोला न बन जाये,
यह सोच कर भय पा रहे हैं।।
देश प्रेम की चर्चा हर कोई तो कर रहा है।
पर धर्म की खाई और भी गहरा होते जा रहा है।।
कोई रुकने को तैयार नहीं है।
कोई झुकने को तैयार नहीं है।
फिर समझ नहीं आता है कि इन साम्प्रदायिक ताकतों को,
कौन और कैसे समझाएगा।
अगर यह सिलसिला थमा नहीं, रुका नहीं, तो
भय है, यह देश भविष्य में फिर से,
दो टुकड़े हो जाएगा।।
कोई भगवान इन्हें समझाने अंतरिक्ष से नहीं आएगा।
दोनों धर्मों वालोँ का अपना बुद्धि ही काम आएगा।।
आज न कोई मुगल है, न कोई महाराणा है।
यह भारत भूमि कल जैसी थी,
वैसी ही आज भी हमारा है।।
भारत भूमि को कोई कहीं भी नहीं उठा ले जाएगा।
धर्मों में सनातन धर्म आदि है और अंत तक रह जाएगा।।
फिर इस उलझन से बाहर निकल,
हम सब भारतवासी प्रेम और शांति से रहें।
यही व्यवहारिक और भाईचारा का सुगम पथ है।
सभी धर्मों के भारतवासियों के लिए आज,
यही माकूल और उचित संदेश हमारा है।। 
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