डार दियो रे! रंग मोहन पर
राधा की रंग भरी गगरिया, मोहन की कोरी चदरिया;
ब्रज में होली की धूम मची है, रंगों से रंगीन गली है,
बरसे सुमन गगन से ऐसे, महक गयी ब्रज नगरिया,
डार दियो रे! रंग मोहन पर वृन्दावन की गुजरिया।
मोहन तो रंग रसिया है, राधा-हृदय मनबसिया है,
ब्रज की होली धूम मचाये, राग रंग संग खूब लुभाये,
यमुना तीरे धीरे धीरे, गोपियां डारे मोहन पर नजरिया
डार दियो रे!-------
राधा नाचे मुरली धुन सुन, गोपियां कृष्ण को रंग लगाये,
देख श्याम छवि चन्द्र अचंभित, राधा संग गोपियां लजाये;
ऐसे नाचे ब्रज में नंदलाला, भूल गये सब गली नगरिया,
डार दियो रे!-------
ब्रज में घर घर बाजे बधाई, होली खेले कृष्ण कन्हाई,
गोपियां मांगे मोहन से दुहाई, छेड़ न मुझे हे! कन्हाई;
ऐसे सताये मदन मुरारी, यमुना तट पट मांगे गुजरिया
डार दियो रे रंग मोहन पर वृन्दावन की गुजरिया,
बरसे सुमन गगन से ऐसे, महक गयी ब्रज नगरिया,
डार दियो रे! रंग मोहन पर वृन्दावन की गुजरिया।
रचनाकार:-ओम प्रकाश शर्मा,
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