अंतरात्मा: व्यक्ति की सर्वोत्तम मित्र
मनुष्य के जीवन में कई रिश्ते और मित्र होते हैं, जो उसके सुख-दुःख में साथ निभाते हैं। परंतु, इन सबसे बढ़कर एक मित्र ऐसा होता है, जो न कभी साथ छोड़ता है और न ही कभी किसी स्वार्थ से प्रेरित होता है—वह है हमारी अंतरात्मा।
अंतरात्मा वह आंतरिक स्वर है, जो हमें सही और गलत का भेद बताता है। जब हम कोई अच्छा कार्य करते हैं, तो यह हमें आत्मसंतोष और प्रसन्नता प्रदान करता है, और जब हम किसी अनुचित मार्ग पर बढ़ते हैं, तो यह हमें चेतावनी देता है। यह हमारे लिए एक मार्गदर्शक की तरह कार्य करता है, जो हर परिस्थिति में हमारा मार्ग प्रशस्त करता है।
परंतु, कई बार हम बाहरी आकर्षणों और दुनिया की चकाचौंध में अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को अनसुना कर देते हैं। परिणामस्वरूप, हम भटक जाते हैं और जीवन में मानसिक अशांति का अनुभव करते हैं। इसलिए, हमें सदैव अपनी अंतरात्मा को जागृत रखना चाहिए और उसकी आवाज़ को सुनकर सही निर्णय लेने चाहिए।
जो व्यक्ति अपनी अंतरात्मा की सुनता है, वह न केवल अपने जीवन को सन्मार्ग पर ले जाता है, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा बनता है। सत्य, नैतिकता और ईमानदारी का मार्ग कठिन अवश्य हो सकता है, परंतु अंततः वही हमें सच्ची शांति और सफलता दिलाता है। इसलिए, अपने अंतरतम की आवाज़ को पहचानें, उसे जागृत रखें और उसका अनुसरण करें, क्योंकि वही हमारा सच्चा मार्गदर्शक और सबसे अच्छा मित्र है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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