वक्त कब किसका हुआ?
वक्त की फितरत बड़ी अजीब होती है। यह न किसी के लिए ठहरता है और न किसी का होकर रहता है। कल जो हमारा था, वह आज किसी और का है और कल फिर किसी तीसरे का होगा। समय का यह चक्र अनवरत चलता रहता है, बिना किसी भेदभाव के, बिना किसी रुकावट के।
इसलिए, जो लोग वक्त के नशे में चूर होकर घमंड करते हैं, वे यह भूल जाते हैं कि समय किसी का सगा नहीं होता। इतिहास गवाह है कि बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं, शक्तिशाली साम्राज्यों और अमीरों के वैभव भी समय के साथ बदल गए। समय न किसी को हमेशा के लिए ऊँचाइयों पर रखता है और न किसी को सदा के लिए गिराता है।
यह सत्य है कि जो व्यक्ति समय का सम्मान करता है, समय भी उसका साथ देता है। लेकिन जो इसे हल्के में लेता है, वक्त उसे अपनी कठोरता से परिचित करवा ही देता है। इसलिए, हमें अपने अच्छे समय में अहंकार से बचना चाहिए और बुरे समय में धैर्य रखना चाहिए।
"वक्त कब किसका हुआ?"—इस प्रश्न का उत्तर यही है कि समय किसी का नहीं होता, बल्कि वही व्यक्ति सफल होता है जो समय के साथ चलना जानता है। हमें हमेशा कर्मठ रहना चाहिए, अवसरों को पहचानना चाहिए और हर परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए, क्योंकि जो समय की कद्र करता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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