जो मर्यादा का पालन करता, वह आज भी राम है,
आज धृतराष्ट्र से पिता, दुर्योधन का अभियान है।दोष लगाते बच्चों पर, नहीं सिखाया संस्कार जिन्हें,
निज अहम् पर चोट लगी तो, समझ रहे अपमान है।
जो बोया है वही उगेगा, बबूल वृक्ष पर आम न होगा,
संस्कार बचपन से दोगे, बच्चा राम कृष्ण सा होगा।
संस्कृति का सार समझकर, मर्यादा से चलना होगा,
धर्म कर्म सिखलाओगे, श्रवण सा पुत्र घर घर में होगा।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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