भाईचारा आउ नाता अब बजारू हो रहल।
डॉ रामकृष्ण मिश्रभाईचारा आउ नाता अब बजारू हो रहल।
देख रहली अदउए से सब बँगारू हो रहल।।
बतकही में सहद टपके पीठ पीछे घात हो।
राह- बाटे कँटैला के फूल पत्तई धो रहल।।
तनीमुट के फुँजल टूसा कने टेंहटारू बने।
बाड़ के काँटा बेचारा हाय सबके ढो रहल।।
कने कन पैसल उदासी चिताखा अलचार हे।
लोर सौंसे गात टपके ओठ खाली रो रहल।।
अकारन उकडेूंँ करेजा कलपके अब का करत।
भाव भाखा बिकल, इरखा में सिनेह भिगो रहल।। १२
रामकृष्ण
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